प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस मुक्त भारत का उनका नारा राजनीतिक रूप से मुख्य विपक्षी दल को समाप्त करने का नहीं बल्कि देश को कांग्रेस संस्कृति से छुटकारा दिलाने के लिए है. उन्होंने कहा कि जब मैं कांग्रेस मुक्त भारत की बात करता हूं तो यह चुनाव परिणाम की बात नहीं है. मैं चाहता हूं कि कांग्रेस खुद भी कांग्रेस संस्कृति से मुक्त हो, यह देश के हित में होगा और एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह जरूरी है.
पीएम मोदी ने टाइम्स नाऊ चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस देश की राजनीति का मुख्य स्तंभ रही है जिसकी संस्कृति का प्रसार सभी राजनीतिक दलों तक हुआ. उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुक्त भारत का उनका नारा प्रतीकात्मक है और वह चाहते हैं कि कांग्रेस भी ‘कांग्रेस संस्कृति’ से मुक्त हो जाए. पीएम ने पहली बार अपने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के नारे पर विस्तार से इतनी बातचीत की जो उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों के पहले प्रचार में दिया था.
बता दें कि बीजेपी द्वारा दिए 'कांग्रेस मुक्त भारत' नारे को वह राजनीतिक हथियार पर इस्तेमाल करती. लोकसभा चुनावों में कांग्रेस 44 सीटों पर सिमटकर रह गयी. इसके बाद बाद कई राज्यों में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा है और सत्ता भी गवांनी पड़ी है. कांग्रेस अब केवल पंजाब, पुडुचेरी, कर्नाटक और पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय तथा मिजोरम में सरकार चला रही है. मेघालय में फरवरी में चुनाव का ऐलान हो चुका है.
मोदी ने कहा कि नारा प्रसिद्ध जरूर हो गया लेकिन इसके पीछे की भावना को प्रभावी तरीके से प्रसारित नहीं किया जा सका क्योंकि राजनीति के प्रवाह में अकसर चीजें हड़बड़ी में कही जाती हैं. उन्होंने कहा कि जब वह कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं तो वह कांग्रेस के किसी संगठन या इकाई के रूप में होने तक सीमित नहीं हैं.
उन्होंने दावा किया, 'आजादी के बाद उभरी कांग्रेस की संस्कृति ने अन्य राजनीतिक दलों को प्रभावित करना शुरू कर दिया. उन्हें लगता है कि किसी एक रास्ते पर चलना सफल साबित होगा. जातिवाद, वंशवाद, भ्रष्टाचार, शोषण, छलकपट और सत्ता पर पूरी तरह कब्जा रखना. ये सब भारतीय राजनीतिक संस्कृति का हिस्सा बन गया जिसका मुख्य स्तंभ कांग्रेस थी.'
मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष के समय भी कांग्रेस की एक संस्कृति थी जिसने युवाओं को देश के लिए बलिदान देने की प्रेरणा दी. कांग्रेस संस्कृति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये ‘खामियां’ एक हद तक सभी दलों में देखी गई. राजनीतिक दलों को इस संस्कृति से बचाना होगा और देश के राजनीतिक चरित्र को सुरक्षित रखना होगा.
उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को इस संस्कृति से बचाना होगा. इसलिए मैं जो कह रहा हूं, वो प्रतीक मात्र है. हाल ही में राहुल गांधी द्वारा विदेश में अपने भाषणों में केंद्र सरकार पर निशाना साधने पर मोदी ने कहा कि अगर लोग भारत से बाहर कहीं जाते हैं और कुछ कहते हैं तो यह देश की पहचान से ज्यादा उस व्यक्ति की पहचान को उजागर करता है.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी पर हमला करने के लिए मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के नारे का इस्तेमाल समय-समय पर किया है. उन्होंने कहा था कि वह बीजेपी की विचारधारा से लड़ेंगे लेकिन उसे कभी पूरी तरह समाप्त नहीं करना चाहेंगे क्योंकि यह भी समाज के एक वर्ग की अभिव्यक्ति है.
तीन तलाक विधेयक से महिला सशक्तीकरण
राज्यसभा में तीन तलाक से जुड़़े विधेयक का विरोध करने के लिए भी कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उसे वोट बैंक की राजनीति करने के बजाय पीछे की ओर ले जाने वाली इस सोच से छुटकारा पाना चाहिए. मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान कांग्रेस ने जो गलती की थी उससे कुछ सबक लेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह कदम इसलिए था कि सभी सम्मान के साथ रहें. कांग्रेस इस समाज सेवा को क्यों नहीं समझ पाई यह चिंता का विषय है. क्या राजनीति इतना गिर गयी है? क्या सत्ता की भूख इतनी ज्यादा है कि वे बेगुनाह मां और बहनों को पीड़ा झेलते देख सकते हैं और अब भी अपनी राजनीति कर रहे हैं. यह बहुत स्वार्थपूर्ण है. इससे मुझे पीड़ा होती है.' मोदी ने कहा कि माहौल भी बदल गया है और दुनियाभर में इस्लामी देशों ने भी अपने कानून बदले हैं.
बता दें कि साल 1985 में उच्चतम न्यायालय ने तलाकशुदा महिला शाह बानो के पक्ष में फैसला सुनाया था जिसने अपने पति से गुजाराभत्ते की मांग की थी. हालांकि कट्टरपंथी मुस्लिम समूहों की तीखी प्रतिक्रिया के बाद राजीव गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस ने बाद में एक कानून के माध्यम से फैसले के प्रावधानों को हल्का कर दिया था.
मोदी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी या वोट बैंक की राजनीति करने वाली अन्य किसी पार्टी को इस पीछे ले जाने वाली सोच से छुटकारा पाना चाहिए और महिला सशक्तीकरण और महिलाओं को सम्मान के विचार से देखना चाहिए. मोदी ने दावा किया कि यह विधेयक राजनीतिक कदम नहीं है बल्कि एक बार में तीन तलाक कहने की कुप्रथा से प्रभावित मुस्लिम महिलाओं को बचाने के उद्देश्य से है.
कुबूल अहमद