पहलगाम की बैसरन घाटी से होकर गुजरेंगे तो लगेगा जन्नत का रास्ता कहीं इधर से होकर ही जाता होगा. देवदार के ऊंचे ऊंचे पेड़. पहाड़ों से घिरा एक मैदान और मैदान पर फैसली नरम-नरम हरी-हरी घासें. नजर उठाएंगे तो बर्फ से ढकी पहाड़ों की चोटियां नजरों पर छा जाएंगी. इस बीच अगर चमकता सूरज दिख गया तो लगेगा इन पर्वतों ने चांदी की चादर ओढ़ रखी है.
लेकिन पहलगाम की ये बैसरन वादी आज खून और आंसुओं से लथपथ है. ये घाटी सिसक रही है. गुजरे मंगल (22 अप्रैल) को डरपोक और कायर दहशतगर्दों की जमात ने उस सैलानियों पर मजहब और नाम पूछकर गोलियां बरसाई जो उस वक्त घाटी में मैगी खा रहे थे. घुड़सवारी का आनंद ले रहे थे.
बैसरन की हरी-भरी ढलानों पर, जहां बच्चे हंसी-मजाक में खोए थे और परिवार घुड़सवारी का सुख ले रहे थे, वहां अचानक गोलियों की बौछार ने सब कुछ छीन लिया. मजहब पूछकर की गई इस क्रूर हत्या ने 28 मासूम जिंदगियों को लील लिया.
इस हमले का जिक्र करते हुए हमारे सामने तस्वीर आती है इजरायल में 7 अक्टूबर 2023 को हुए आतंकी हमले की. ठीक ऐसा ही पैटर्न इजरायल में हमास के आतंकवादियों ने अपनाया था जब उन्होंने 1,200 लोगों को मार डाला था. इसमें 250 वो इजरायली भी थे जो रेइम के पास नोवा म्यूजिक फेस्टिवल में शिरकत कर रहे थे. इसके अलावा हमास आतंकियों ने 250 इजरायलियों को बंधक भी बना लिया.
ये दोनों ही मामले ऐसे थे जब नफरत में आकंठ डूबे कुछ आतंकियों ने उन निहत्थे और निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया, जो खुशी के पल बिता रहे थे.
पहलगाम में पाकिस्तान से पोषित TRF के आतंकियों ने सैलानियों से उनका धर्म पूछा, अजान सुनाने को कहा और गोली मार दी. 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हुए हमले में हमास के आतंकियों ने भी यहूदी नागरिकों को चुन-चुनकर मारा, खासकर उन समुदायों को जो गाजा सीमा के पास के थे. दोनों हमलों में आतंकियों की मजहब के आधार पर चुनने की नीति स्पष्ट दिखी.
सूत्रों के अनुसार आतंकियों ने शरीर पर कैमरे लगा रखे थे. उन्होंने पूरी घटना की वीडियोग्राफी की. मुख्य घटनास्थल पर आतंकियों ने सभी को इकट्ठा कर उनसे उनकी पहचान की फिर उनपर हमला किया.
हमास आतंकियों ने इजरायल में हुए उस हमले को अंजाम देने के लिए रॉकेट बैराज, पैराग्लाइडर और वाहनों के जरिए इजरायल में घुसपैठ की थी. उनकी संख्या सैकड़ों में थी. पहलगाम के बारे में माना जाता है कि यहां चार से छह आतंकियों ने सेना की वर्दी पहनकर सैलानियों पर अटैक किया. रिपोर्ट के अनुसार आतंकियों ने इस जगह की पहले से ही रेकी की थी. जम्मू-कश्मीर में अभी पर्यटकों का सीजन है. पहलगाम की बैसरन घाटी में इस वक्त पर्यटकों की आमद जबर्दस्त है. यहां बड़ी संख्या में पर्यटक मौजूद थे. ये जगह अपेक्षाकृत शांत माना जाता है इसलिए यहां सुरक्षा तैनाती नहीं थी. आतंकियों ने इसी का फायदा उठाया और पहलगाम पर हमला किया.
हमास का हमला इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को भड़काने और क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा करने का प्रयास था. इसी तरह पहलगाम हमला TRF की भड़ास का परिणाम था. बता दें कि जम्मू कश्मीर में तेजी से हालात सामान्य हो रहे थे. वहां पर्यटकों की आमद हो रही थी. सिनेमा घर खुल रहे थे. बाजारों में रौनक बढ़ रही थी. ऐसा लग रहा था कि जम्मू-कश्मीर के हालात तेजी से सामान्य हो रहे थे.
लेकिन ये सकारात्मक बदलाव आतंकियों के मकसद और वजूद पर ही सवाल खड़े कर रहा था. इसलिए पाकिस्तान में बैठे आतंकी के आका हताश हो रहे थे. इसके बाद ये हमले बौखलाहट में किए गए. ये दोनों ही हमले बड़े जिओ-पॉलिटिकल उद्देश्यों से प्रेरित थे.
इजरायल में हमास द्वारा किए गए हमले और TRF के इस हमले ने गहरे सामाजिक और भावनात्मक घाव छोड़े हैं. इजरायल में इस हमले को होलोकॉस्ट के बाद यहूदियों पर सबसे घातक हमला कहा गया, जिसने राष्ट्रीय एकता को हिला दिया. इस हमले के बाद इजरायल ने 8 अक्टूबर 2023 को गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ ऑपरेशन आयरन स्वॉर्डस (Operation Iron Swords) शुरू किया. ये इजरायल का हमास के खिलाफ अब तक सबसे बड़ा युद्ध छेड़ा है.
इजरायल ने इस युद्ध के तीन प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए- हमास का खात्मा, बंधकों की वापसी और गाजा सीमा के पास रहन वाले निवासियों की सुरक्षा स्थापित करना.
लगभग 18 महीनों की इस जंग में इजरायल ने पूरे गाजा को तहस-नहस कर दिया है. इजरायल ने हमास की सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व का खात्मा कर दिया है. इजरायल के जवाबी हमले में 50 हजार फिलीस्तीनी मारे गए हैं.
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