निर्भया रेप केस के दोषियों के फांसी के फंदे पर लटकने से ठीक पहले वकील एपी सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में दायर याचिका पर आधी रात को सुनवाई हुई. लेकिन यहां पर भी विवाद हुआ, सुनवाई शुरू होने से पहले ही वकील एपी सिंह प्रवेश करने के मसले पर धरने पर बैठ गए थे.
दरअसल, जब एपी सिंह अपने 6 जूनियर वकीलों के साथ सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश कर रहे थे. तभी सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक लिया और प्रवेश नहीं करने दिया. इसके तुरंत बाद एपी सिंह धरने पर बैठे और प्रवेश की जिद पर अड़े रहे. हालांकि, बाद में उन्हें प्रवेश मिला और सुनवाई शुरू हुई.
सिर्फ एपी सिंह ही नहीं, बल्कि निर्भया के माता-पिता को भी सुरक्षाकर्मियों ने प्रवेश करने से रोका था. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में कोरोना वायरस की वजह से कम से कम लोगों को प्रवेश की इजाजत दी जा रही है, इसलिए सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोका था.
निर्भया केस: दोषियों की फांसी टालने की आखिरी कोशिश
आधी रात को हुई सुनवाई
दिल्ली हाई कोर्ट ने फांसी के वक्त को ना टालने का फैसला दिया, तो एपी सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. जस्टिस भानुमति, जस्टिस भूषण और जस्टिस बोपन्ना ने आधी रात को इस याचिका को सुना. आधी रात को सुप्रीम कोर्ट में एपी सिंह ने पवन गुप्ता की उम्र का मसला उठाया, प्रमाणपत्र भी पेश किए.
आपको बता दें कि ऐसा तीसरी बार हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट आधी रात को खुली है. इससे पहले 2015 में याकूब मेमन की फांसी के मसले पर आधी रात में अदालत खुली थी, हालांकि तब भी फांसी टालने की अपील को खारिज कर दिया गया था. इसके अलावा 2018 में कर्नाटक सरकार के मसले पर भी अदालत खुली थी.
संजय शर्मा