सरकार के इस कदम से गन्ना किसानों का बकाया जल्द चुका सकेंगी चीनी मिलें

सरकार का मानना है कि एमएसपी बढ़ाए जाने से मिलों के पास पर्याप्त पैसा आएगा जिससे वे गन्ना किसानों का बकाया चुका सकें. सरकार यह भी मानती है कि एमएसपी में मामूली बढ़ोतरी से चीनी की खुदरा कीमतों पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा.  

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

रविकांत सिंह / हिमांशु मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST

लोकसभा चुनाव से पहले गन्ना किसानों की नाराजगी कम करने और चीनी मिलों पर किसानों का बकाया चुकाने के लिए केंद्र सरकार खास तैयारी में है. केंद्र सरकार आगामी सीजन (अक्टूबर से सितंबर) के लिए चीनी मिलों के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाकर 33 या 34 रुपए प्रति किलो करने की तैयारी में है. अभी चीनी मिलों के लिए न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 रुपए प्रति किलो है.

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न्यूनतम बिक्री मूल्य वो दर है जिस पर चीनी मिलें अपनी चीनी थोक में बेचती हैं. सरकार का मानना है कि ये दर बढ़ाने से चीनी मिलों की अच्छी कमाई होगी जिससे वो गन्ना किसानों का बकाया चुका सकेंगी.

कैराना और नूरपुर उपचुनाव में बीजेपी की हार के लिए गन्ना किसानों की नाराजगी को जिम्मेदार माना गया था. देश भर के गन्ना किसानों का करीब 14000 करोड़ रुपया चीनी मिलों पर बकाया है जिसमें से आधा हिस्सा अकेले यूपी के गन्ना किसानों का है. अकेले यूपी और महाराष्ट्र में 128 लोकसभा की सीटें गन्ना बेल्ट में आती हैं और ऐसे में गन्ना किसानों की नाराजगी बीजेपी पर भारी पड़ सकती है.

सरकार का मानना है कि न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाने से चीनी के खुदरा मूल्य में 2-3 रुपए की मामूली बढ़ोतरी होगी जिससे लोगों को भी दिक्कत नहीं होगी और किसान भी खुश रहेंगे.

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20 हजार करोड़ रु बकाये का भुगतान

छह महीने पहले देशभर में जारी किसानों की हड़ताल के बीच केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों को बड़ी राहत देते हुए 20 हजार करोड़ रुपए बकाया भुगतान का ऐलान किया था. साथ ही सरकार ने चीनी से निर्यात कर भी हटा दिया था.

सरकार ने गन्ना किसानों के लिए राहत की कई घोषणाएं करते हुए गन्ने का 30 लाख टन बफर स्टॉक बनाने का ऐलान किया. सरकार ने उम्मीद जताई थी कि बफर स्टॉक के जरिए चीनी की सप्लाई को कम किया जा सकेगा. चीनी व्यापारियों को राहत देने के लिए सरकार चीनी निर्यातकों को उत्पादन पर प्रोत्साहन राशि का ऐलान कर चुकी है. इस साल चीनी का बंपर उत्पादन होने और कीमतों में आई गिरावट को देखते हुए सरकार उसका निर्यात बढ़ाना चाहती है.

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