पाकिस्तान में बुधवार को होने वाले आम चुनाव के लिए प्रचार थम चुका है. पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना बेशक अब इन चुनाव में कोई मुद्दा न हों, लेकिन भारत में उनका नाम रह रह कर सुर्खियों में आता रहा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मंगलवार को संसद को बताया गया है कि मुंबई स्थित ‘जिन्ना हाउस’ को ‘शत्रु संपत्ति’ के तौर पर सूचीबद्ध नहीं किया गया है.
अहीर ने साफ किया कि जिन्ना हाउस एक ‘इवैक्यूई प्रॉपर्टी’ है जो इवैक्यूई प्रॉपर्टी एक्ट, 1950 के दायरे में आती है.
जिन्ना हाउस 2010 से कानूनी विवाद में फंसा हुआ है. जिन्ना की इकलौती संतान दीना वाडिया ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इस बहुमूल्य संपत्ति पर दावा किया था. दीना वाडिया ने याचिका में कहा था कि वे जिन्ना की इकलौती वारिस हैं इसलिए संपत्ति पर उन्हें अधिकार मिलना चाहिए. मालाबार हिल पर ढाई एकड़ में फैले इस बंगले के बारे में दावा किया गया था कि उसका हक जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना को दे दिया गया है. दीना वाडिया का 2 नवंबर 2017 को न्यूयॉर्क में निधन हुआ.
गौरतलब है कि जिन्ना के बनाए इस बंगले का सरकार ने इवैक्यूई प्रॉपर्टी के तौर पर अधिग्रहण कर लिया. ऐसे इवैक्यूई और अन्य के बंगले पर सारे अधिकार खत्म हो गए. अतीत में बीजेपी नेता मांग करते रहे हैं कि जिन्ना हाउस को ‘शत्रु संपत्ति’घोषित किया जाए.
इवैक्यूई का अर्थ होता है- ‘कोई व्यक्ति जो भारत और पाकिस्तान संप्रभुताओं के अस्तित्व में आने के दौरान या नागरिक गड़बड़ियों या ऐसी गड़बड़ियों के होने के डर से छोड़ कर चला गया हो या 1 मार्च 1947 को या उसके बाद भारत के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र से बाहर चला गया हो या पाकिस्तान के किसी भी हिस्से में रह रहा हो. इस कारण से वो व्यक्ति इवैक्यूई एक्ट के दायरे में आने वाले किसी भी क्षेत्र में स्थित संपत्ति पर कब्जे, निगरानी या प्रबंधन का हकदार नहीं रहेगा.
दो महीने पहले ही पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ के हॉल में लगे पोट्रेट को लेकर जमकर विवाद हुआ था. दक्षिणपंथी जिन्ना के पोट्रेट को हटाने की मांग कर रहे थे. अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने इस संबंध में अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के कुलपति को चिट्ठी भी भेजी थी.
विवेक पाठक / खुशदीप सहगल / कमलजीत संधू