MJ Akbar resigns: एक पत्रकार जिसे राजीव गांधी ने बनाया सांसद और नरेंद्र मोदी ने मंत्री

मोदी सरकार में विदेश राज्यमंत्री रहे एमजे अकबर ने अपनी सियासत की शुरुआत कांग्रेस से की थी. उन्होंने पत्रकारिता छोड़कर राजनीति में कदम रखा था.

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एमजे अकबर (फाइल फोटो: ट्विटर @mjakbar) एमजे अकबर (फाइल फोटो: ट्विटर @mjakbar)

विवेक पाठक / कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 5:39 PM IST

#MeToo अभियान के तहत यौन शोषण के आरोपों के बीच चौतरफा दबाव झेल रहे विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने इस्तीफा दे दिया है. अब तक इस्तीफे से बचते रहे एम जे अकबर ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज किया था.  

पत्रकारिता से सियासत में आए विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर #MeToo अभियान के तहत 20 महिला पत्रकारों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. अकबर पर जब पहला आरोप लगा था तब वे अफ्रीका के दौरे पर थे और ऐसे में माना जा रहा था कि उन्हें विदेश से लौटने के बाद इस्तीफा देना पड़ सकता है.

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देश के दिग्गज और मशहूर अंग्रेजी पत्रकार एमजे अकबर मोदी सरकार में विदेश राज्यमंत्री थे. #MeToo मामले में एक के बाद एक महिला पत्रकार उन पर यौन शोषण का आरोप लगा रही थीं. ऐसे में मोदी सरकार और एम जे अकबर पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा था.

अकबर जाने-माने संपादक रह चुके हैं. देश के कई अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ, डेक्कन क्रॉनिकल से लेकर द एशियन एज सहित कई बड़े अखबारों के संपादक रहे हैं. उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जीवनी पर आधारित 'द मेकिंग ऑफ इंडिया' और कश्मीर पर आधारित 'द सीज विदिन' चर्चित किताबें लिखीं. इसके अलावा 'द शेड ऑफ शोर्ड',  'ए कोहेसिव हिस्टरी ऑफ जिहाद' और 'ब्लड ब्रदर्स' के भी लेखक रहे.

एमजे अकबर को सियासत में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी लाए. इंदिरा गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री बने तो एमजे अकबर के साथ उनके रिश्ते गहरे बने. इसी के बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया.

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उन्होंने पत्रकारिता छोड़ सियासत में कदम रखा था. कांग्रेस ने1989 में अकबर को बिहार के मुस्लिम बहुल लोकसभा सीट किशनगंज से मैदान में उतारा. हालांकि कांग्रेस देश में हार गई, लेकिन अकबर चुनाव जीतने में सफल रहे थे.

1991 में राजीव गांधी के निधन के बाद अकबर कांग्रेस छोड़कर फिर पत्रकारिता में लौट आए. इसके बाद अकबर फिर से पूर्णकालिक पत्रकार बन गए थे. 2002 के गुजरात दंगों के बाद उन्होंने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर अलोचना की थी. हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस और गांधी परिवार की आलोचना करते हुए कई लेख लिखने के बाद बीजेपी के करीब आए.

अकबर ने अपनी दूसरी सियासी पारी के लिए पत्रकारिता छोड़कर बीजेपी का दामन थामा. वो 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता बनाया. इसके बाद 5 जुलाई 2016 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में विदेश राज्यमंत्री बने. उन्हें झारखंड से राज्यसभा सदस्य बनाया गया था. इसके बाद दोबारा से मध्य प्रदेश के जरिए राज्यसभा सदस्य बने.

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