कर्नाटक के सियासी नाटक पर सस्पेंस गहराता जा रहा है. आज यानी मंगलवार को बेंगलुरु में कांग्रेस विधायक दल की बैठक है तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्यभर के जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया है. इस बीच मंगलवार सुबह बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के घर पर पार्टी नेताओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. बीएस येदियुरप्पा के घर पर बीजेपी नेता मुरुगेश निरानी, उमेश कट्टी, जेसी मधुस्वामी और के रत्ना प्रभा पहुंची हैं. सभी नेता आगे की रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं. दूसरी ओर कांग्रेस और जेडीएस के बड़े नेता सरकार बचाने की कोशिशों में पूरी ताकत से जुटे हुए हैं.
बीजेपी के विधायक अरविंद लिंबावली ने सोमवार को कहा कि कर्नाटक सरकार ने अल्पमत में रहने के बाद भी हमारे एजेंडे के विरोध में काम किया है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह सरकार कायम रहेगी या नहीं. हमारी बैठक में इस बात पर चर्चा की गई है कि अभी दो दिन तक शांत रहा जाएगा, उसके बाद पार्टी आगे की कार्रवाई करेगी. हम एक बार फिर से मंगलवार को भी विधायक दल की बैठक बुलाएंगे.
कर्नाटक में सरकार पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कांग्रेस-जेडीएस के 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. निर्दलीय विधायक और लघु उद्योग मंत्री एच. नागेश और केपीजेपी के एकमात्र विधायक और सरकार में मंत्री आर. शंकर ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर 13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. नागेश कोलार जिले की मुलबगल (अनुसूचित जाति) विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए थे.
इस्तीफे से पहले 225 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के पास 118 विधायकों का समर्थन था, यह बहुमत के आंकड़े 113 से पांच ज्यादा है. इनमें विधानसभा अध्यक्ष को छोड़कर 78 कांग्रेस के, जेडीएस के 37 और बीएसपी और कर्नाटक प्रज्ञंयवंता जनता पार्टी (केपीजेपी) के एक-एक और एक निर्दलीय विधायक शामिल थे.
गठबंधन सरकार में 34 सदस्यीय मंत्रिमंडल में कांग्रेस से 22, जेडीएस से 10, केपीजेपी के एक और एक निर्दलीय विधायक शामिल थे. राज्य विधासभा का 10 दिवसीय मॉनसून सत्र 12 जुलाई से शुरू होने वाला है.
aajtak.in