कर्नाटक:दोबारा चुनाव या जोड़तोड़ से सरकार? बीजेपी के सामने भी दुविधा की स्थिति

कर्नाटक में विधायकों के लगातार इस्तीफों से कुमारस्वामी सरकार पर राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. ऐसे में सत्ता पर कब्जे की जंग में गेंद अब बीजेपी के पाले में है, देखना होगा कि वह विधायकों के जोड़तोड़ से सरकार बनाने की दिशा में कदम उठाएगी या फिर विधानसभा चुनाव के जरिए सत्ता में वापसी के रास्ते को चुनेगी.

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बीएस येदियुरप्पा, अमित शाह और नरेंद्र मोदी (फोटो-twitter) बीएस येदियुरप्पा, अमित शाह और नरेंद्र मोदी (फोटो-twitter)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST

कर्नाटक में विधायकों के लगातार इस्तीफों से कुमारस्वामी सरकार का राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. कांग्रेस-जेडीएस के 13 विधायकों के इस्तीफे और एक निर्दलीय MLA का मंत्री पद छोड़ने से कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ गई है. ऐसे में सत्ता पर कब्जे की जंग में गेंद अब बीजेपी के पाले में है, देखना होगा कि वह विधायकों के जोड़तोड़ से सरकार बनाने की दिशा में कदम उठाएगी या फिर विधानसभा चुनाव के जरिए सत्ता में वापसी के रास्ते को चुनेगी.

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बता दें कि कुमारस्वामी सरकार ने एक साल का सियासी सफर अभी पूरा ही किया था कि मुसीबत सामने आ गई है.  कांग्रेस के 10 और जेडीएस के 3 विधायकों के इस्तीफे के बाद निर्दलीय विधायक नागेश ने भी अपना मंत्रीपद छोड़ दिया है. इसी के साथ नागेश ने कांग्रेस-JDS सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है और बीजेपी को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी है. हालांकि कांग्रेस-जेडीएस के नेता अभी भी सरकार बचाने की कवायद में जुटे हैं.

दूसरी ओर, कांग्रेस-जेडीएस के बागी विधायकों का इस्तीफा अभी विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने स्वीकार नहीं किया है. उन्होंने इस संबंध में मंगलवार को फैसला लेने की बात कही है. ऐसे में कांग्रेस-जेडीएस की ओर से सरकार बचाने के प्रयास भी तेज हो गए हैं. कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कर्नाटक कांग्रेस प्रभारी केसी वेणुगोपाल, जी परमेश्वर और एमबी पाटिल लगातार बैठकें कर बागियों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. कांग्रेस के ये नेता एच डी देवगौड़ा के संपर्क में भी हैं.

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कर्नाटक के विधायकों के आंकड़े देखें तो कुल 225 सदस्य होते हैं और इनमें एक मनोनीत होता है. फिलहाल बीजेपी के 105 विधायक हैं. जबकि कांग्रेस ने अपने 80 और जेडीएस के 37 विधायक के साथ सरकार बनाई थी, जिसे बसपा के एक और एक निर्दलीय विधायक ने समर्थन दिया था. ऐसे में कांग्रेस को 10 और जेडीएस के 3 विधायकों का अगर इस्तीफा स्वीकार होता है बहुमत का हिसाब 210 सीटों पर लगाया जाएगा और किसी भी पार्टी को सरकार में रहने के लिए 106 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी.

सरकार बनाने के फिलहाल आंकड़े बीजेपी के पक्ष में दिख रहे हैं. यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सरकार बनाने के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं. इसीलिए उन्होंने कहा था कि बीजेपी में लोग ‘संन्यासी' नहीं हैं जो सरकार बनाने की संभावनाओं से इनकार करेंगे. यही वजह रही कि निर्दलीय विधायक नागेश ने सोमवार को जैसे ही समर्थन वापस लिया तो येदियुरप्पा के पीए उन्हें लेकर मुंबई रवाना हो गए. इसके संकेत साफ है कि येदियुरप्पा सरकार बनाने के लिए पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं.

हालांकि बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व अभी भी सरकार बनाने से ज्यादा 'वेट एंड वॉच' की रणनीति अपना रहा है. बीजेपी मौजूदा राजनीतिक हालात में भले ही सरकार बनाने में अभी सफल हो जाए, लेकिन संकट के बादल हमेशा मंडराते रहेंगे. सूत्रों की मानें तो यही वजह है कि बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व सरकार बनाने से ज्यादा चुनाव में उतरने का मन बना रहा है.

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बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व कर्नाटक की सत्ता को बीएस येदियुरप्पा को देने के पक्ष में नहीं है. वहीं, इस बात को येदियुरप्पा बखूबी समझ रहे हैं कि इस बार अगर वो सीएम बनने में सफल नहीं होंगे तो चुनाव के बाद बाजी उनके हाथ लगे यह जरूरी नहीं है. क्योंकि येदियुरप्पा 76 साल की उम्र के पड़ाव पर हैं. इसीलिए वो ये मौका अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं.

लोकसभा चुनाव में बीजेपी बीएस येदियुरप्पा की बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के सहारे चुनावी मैदान में उतरी थी. इसका पार्टी को जबरदस्त फायदा भी मिला और बीजेपी कर्नाटक की कुल 28 लोकसभा सीटों में से 25 सीटें जीतने में सफल रही थी. इसीलिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चाहता है मौजूदा माहौल में चुनावी रण में उतरना फायदेमंद रहेगा. इससे विपक्ष के सवालों के बचने के साथ-साथ सियासी लाभ भी मिल सकता है. बीजेपी इसी कशमकश में अभी फंसी हुई नजर आ रही है.

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