कर्नाटक: सदानंद गौड़ा चुनावी मैदान में नहीं, फिर भी BJP के मंझे खिलाड़ी

बीजेपी ने 2009 में सदानंद गौड़ा को उडूपी-चिकमंगलूर सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया और यहां से जीतकर वह दूसरी बार लोकसभा पहुंचे. 2006 में गौड़ा को कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया. 2008 में जब पहली बार दक्षिण के किसी राज्य में बीजेपी को जीत मिली तो इसका सेहरा गौड़ा के सिर ही बांधा गया.

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सदानंद गौड़ा (Getty Images) सदानंद गौड़ा (Getty Images)

अनुग्रह मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2018,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST

कर्नाटक में बीजेपी के प्रमुख चेहरों में शामिल केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा इस बार चुनावी समर में ताल भले ही न ठोक रहे हों लेकिन चुनाव लड़ने और जीतने का अनुभव उनके पास काफी है. वह पार्टी के लिए लगातार प्रचार करते दिखे और बेदाग छवि की वजह से पार्टी के चहेतों में शामिल हैं.

मोदी सरकार में फिलहाल उन्हें सांख्यिकी मंत्रालय की जिम्मादारी दी गई है इससे पहले वो कानून और रेल जैसे अहम मंत्रालयों का जिम्मा भी संभाल चुके हैं. गौड़ा 2011-12 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं.

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उत्तरी बेंगलुरु सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे सदानंद गौड़ा छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे और सबसे पहले वह जिला स्तर पर ABVP के महासचिव बने. जनसंघ से होते हुए बीजेपी में आए गौड़ा को 2003-04 में पार्टी का राज्य सचिव चुना गया और उसके बाद 2004 में उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय सचिव का पद दिया गया.

दक्षिण कर्नाटक की पुत्तूर सीट से गौड़ा 1994 में पहली बार विधानसभा पहुंचे. दूसरी बार विधायक बनने पर उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी गई. साल 2004 में मंगलुरु सीट से जीत कर पहली बार गौड़ा लोकसभा पहुंचे. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली को 30 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी.

इसके बाद बीजेपी ने 2009 में सदानंद गौड़ा को उडूपी-चिकमंगलूर सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया और यहां से जीतकर वह दूसरी बार लोकसभा पहुंचे. 2006 में गौड़ा को कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया. 2008 में जब पहली बार दक्षिण के किसी राज्य में बीजेपी को जीत मिली तो इसका सेहरा गौड़ा के सिर ही बांधा गया. हालांकि तब सीएम का पद बी एस येदियुरप्पा को दिया गया.

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कोयला खनन मामले में नाम आने के बाद जब येदियुप्पा ने पद से इस्तीफा दिया, तब जाकर अगस्त 2011 में गौड़ा को उनकी जगह कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया गया. सीएम बनने के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी बीजेपी सरकार की छवि को फिर से साफ करने में गौड़ा ने अहम भूमिका निभाई. हालांकि उन पर पार्टी को एकजुट न रखने का आरोप लगने की वजह से उनसे जुलाई 2012 में इस्तीफा ले लिया गया और जगदीश शेट्टार को कर्नाटक की कमान सौंपी गई.

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली करारी शिकस्त के बाद गौड़ा को विधान परिषद में नेपा प्रतिपक्ष की भूमिका निभानी पड़ी. इसके बाद गौड़ा ने दिल्ली का सफर तय किया और 2014 में उन्हें मोदी कैबिनट में शामिल किया गया. गौड़ा इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन राज्य में उनका राजनीतिक प्रभाव काफी है.

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