'त्रिनेत्र' से अब घने कोहरे में भी अपनी रफ्तार में दौड़ेगी प्रभु की रेल

ईओआई की अंतिम तारीख 15 जुलाई है और अबतक रेलवे बोर्ड को देश विदेश की 6 कंपनियों से ईओआई के ऑफर मिले हैं.

Advertisement
ईओआई की अंतिम तारीख 15 जुलाई है ईओआई की अंतिम तारीख 15 जुलाई है

अंजलि कर्मकार / सिद्धार्थ तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 8:16 PM IST

इस साल ठंड के सीजन में कोहरा शायद ट्रेनों की रफ्तार को रोक नहीं पाएगा. रेल मंत्रालय कोहरे को भेदकर देखने के लिए रेल इंजनों में त्रिनेत्र सिस्टम लगाने की तैयारी में जुट गया है. कोहरे के आर-पार देखने के लिए रेल मंत्रालय ने एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट यानी ईओआई का आमंत्रण किया है.

ईओआई की अंतिम तारीख 15 जुलाई है और अबतक रेलवे बोर्ड को देश विदेश की 6 कंपनियों से ईओआई के ऑफर मिले हैं.

Advertisement

लखनऊ मेल में किया चुका है त्रिनेत्र सिस्टम का परीक्षण
हर साल कोहरे के कहर से कैंसिल होने वाली ट्रेनों और देर होने वाली ट्रेनों की वजह से उत्तर भारत में करोड़ों यात्री प्रभावित होते हैं. इससे रेलवे को सैकड़ों करोड़ रुपये का सालाना नुकसान उठाना पड़ता है. इसको देखते हुए रेलवे ने रडार आधारित इंफ्रा-रेड और हाई रिजॉल्यूशन वाले कैमरों के इनपुट से लैस त्रिनेत्र सिस्टम का घने कोहरे में इसी साल जनवरी में सफल परीक्षण किया था. ये परीक्षण लखनऊ और नई दिल्ली रेलमार्ग पर 8 जनवरी 2016 को लखनऊ मेल में किया गया था. इस परीक्षण का एक्सक्लूसिव वीडियो 'आजतक' के पास मौजूद है.

इजराइल की कंपनी ने की थी मदद
ये परीक्षण इजरायल की एक कंपनी के साथ मिल कर किया गया था. इस परीक्षण की सफलता के मद्देनजर रेलवे ने इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है. उम्मीद है कि इस साल जाड़ों के सीजन में उत्तर भारत की तकरीबन 100 गाड़ियों पर इस सिस्टम को लगाया जाएगा. रेलवे बोर्ड के मेंबर मैकेनिकल हेमंत कुमार ने इस बारे जानकारी देते हुए कहा कि हम त्रिनेत्र के परीक्षण से संतुष्ट हैं और उम्मीद है कि इस साल इस सिस्टम का प्रयोग कोहरे में गाड़ियों की आवाजाही में किया जाएगा.

Advertisement

क्या है त्रिनेत्र और कैसे करता है काम

1. राडार के जरिए त्रिनेत्र को अपने सामने और आसपास मौजूद किसी भी तरह की वस्तु या जानवर, आदमी, पेड़ पौथे के बारे में घने कोहरे में भी जानकारी मिल जाती है.

2. डॉप्लर तकनीक पर काम करने वाले रडार सिस्टम से उस वस्तु के गतिशील होने या स्थिर होने का भी पता चलता है.

3.घने कोहरे में दूसरी तकनीक जिसका इस्तेमाल होता है वो है इंफ्रा-रेड कैमरा . कोहरे को भेदकर इंफ्रा-रेड के जरिए ये खास कैमरा किसी वस्तु के जीव जंतु होने या निर्जीव होने की भी जानकारी देता है.

4.तीसरी तकनीक जिसका इस्तेमाल त्रिनेत्र में होता है वो है हाई-रिजॉल्यूशन टेरेन कैमरा. इन तीनों तकनीकों के जरिए मिलने वाले इनपुट का विश्लेषण ताकतवर कंप्यूटर के जरिए करके इसके जरिए स्क्रीन पर फाइनल इमेज भेजी जाती है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement