हिंद महासागर में वायुसेना का 'गगन शक्ति' अभ्यास, चीन पर नज़र!

इस 'गगन शक्ति' एक्सरसाइज़ से यह साफ हो गया कि चीन का मिलिट्री बेस भी वायुसेना की ज़द में आ गया है. यानी करीब 2000 किलोमीटर तक हमारी वायुसेना दुश्मन को खदेड़ सकती है.

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फाइल फोटो फाइल फोटो

मोहित ग्रोवर

  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 9:49 AM IST

हिंद महासागर में मिल रही लगातार चुनौतियों के बीच भारतीय वायुसेना अपनी ताकत बढ़ाने पर ज़ोर दे रही है. इस बीच हिंद महासागर में वायुसेना ने लॉन्ग रेंज़ की मिसाइलों का परीक्षण किया जो कि सफल साबित हुआ. वायु सेना का ये परीक्षण ऐसे प्वाइंट पर सफल हुआ है, जहां से चीनी मिलिट्री हिंद महासागर में घुसने की कोशिश करती है.   

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सरकारी सूत्रों की मानें तो इस 'गगन शक्ति' एक्सरसाइज़ से यह साफ हो गया कि चीन का मिलिट्री बेस भी वायुसेना की ज़द में आ गया है. यानी करीब 2000 किलोमीटर तक हमारी वायुसेना दुश्मन को खदेड़ सकती है.

‘गगन शक्ति’ के इस अभ्यास में ब्रह्मोस और हार्पून जहाज रोधी मिसाइलों से लैस वायुसेना के सुखोई और जगुआर जंगी विमानों ने किसी भी प्रकार के अभियान के जरिए अपनी रणनीतिक पहुंच और क्षमता प्रदर्शित की. वायुसेना का कहना है कि वह पश्चिमी और पूर्वी दोनों समुद्री क्षेत्रों में समुद्री युद्ध की अवधारणा का प्रभावी तरीके से अभ्यास कर रही है.

इस अभ्यास के दौरान भारत के Su-30MKI कॉम्बेट प्लेन ने दक्षिण भारत के क्षेत्र में ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल का इस्तेमाल हुआ. आपको बता दें कि इस क्षेत्र के आस-पास से ही चीन के करीब 80 फीसदी व्यापारिक जहाज होकर गुजरते है.

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वायुसेना के इस अभ्यास के कारण यह साफ हुआ कि भारत हिंद महासागर में एक बड़ी शक्ति है. पिछले कुछ समय में जिस तरह चीन हिंद महासागर में अपनी पैठ जमाने की कोशिश कर रहा है, उसके लिए भारत का वहां पर डटकर जवाब देना जरूरी हो जाता है.

गगन शक्ति एक्सरसाइज़ एक तरह की युद्ध की तरह था. जिसमें पूरी ताकत के साथ अभ्यास किया गया. इसका मकसद हिंद महासागर के पास चीन और पाकिस्तान की बढ़ती दोस्ती को चेतावनी देना था. चीन जिस तरह से म्यांमार, बांग्लादेश, द्जिबुती, श्रीलंका और मालदीव में हिंद महासागर बढ़ रहा है. भारत का ये अभ्यास उसी का जवाब है.

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