रोहिंग्या मुसलमानों पर भेदभावपूर्ण रवैया अपना रही है केंद्र सरकार: तरुण गोगोई

असम के पूर्व सीएम तरुण गोगोई का कहना है कि यह महात्मा गांधी और अशोक का देश है, हमें उदारता दिखानी होगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दिया है उसमें सरकार का रुख नाइंसाफी भरा है.

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगोई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगोई

मौसमी सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:48 PM IST

रोहिंग्या शरणार्थियों पर सरकार के रुख पर सवाल खड़े करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता तरुण गोगोई ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ भेदभाव हो रहा है. महात्मा गांधी के देश में असहिष्णुता कहां तक सही है.

तरुण गोगोई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और तीन बार असम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनका कहना कि धर्म के आधार पर शरणार्थियों के साथ भेदभाव हो रहा है और यह वह लोग हैं जिन पर अत्याचार हो रहा है. गोगोई ने कहा कि उनके देश में उनके मानवाधिकार का हनन हो रहा है तो वह डर के वहां से भाग कर भारत आ रहे हैं, जो रिफ्यूजी आएगा तो वह अवैध ही होगा, लेकिन वह जानबूझकर यहां नहीं आ रहे हैं.

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असम के पूर्व सीएम तरुण गोगोई का कहना है कि यह महात्मा गांधी और अशोक का देश है, हमें उदारता दिखानी होगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दिया है उसमें सरकार का रुख नाइंसाफी भरा है. भारत सरकार 2015 में सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट लाई जिसमें भारत के आसपास के देशों में जो भी अल्पसंख्यक शरणार्थी आएगा उसको हम नागरिकता देंगे. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ध्रुवीकरण कर रही है और रोहिंग्या मसले को लेकर म्यांमार भी तो पड़ोसी देश है अगर वहां से शरणार्थी आ रहे हैं तो उनके साथ भेदभाव क्यों किया जा, क्या इसलिए क्योंकि वो मुसलमान हैं.

रोहिंग्या मुस्लिमों के पक्ष लेते हुए गोगोई ने कहा कि हम तो यह नहीं कह रहे कि रोहिंग्या को स्थाई नागरिकता देनी चाहिए, लेकिन जब तक उनके देश में उनके लिए वातावरण अनुकूल ना हो, सुरक्षित ना हो, तब तक रोहिंग्या को आश्रय दी सकती है. गोगोई ने कहा कि भारत सरकार को रोहिंग्या को वापस भेजने के लिए म्यांमार की सरकार से बात  करनी चाहिए.

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सरकार के हलफनामे में तरुण गोगोई ने कहा कि अगर कोई रोहिंग्या आतंकी है तो आप उसके खिलाफ कार्रवाई कीजिए, उसको गिरफ्तार कीजिए अभी तक तो कोई ऐसा शख्स नहीं आया, अगर है भी तो आप उसके खिलाफ कार्रवाई कीजिए, लेकिन महिलाओं और बच्चों को भी उसी कटघरे में क्यों खड़ा कर रहे हैं, जिन बच्चों के पास ना हथियार है ना बारूद, उनकी क्या गलती हो सकती है.

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