गौरी लंकेश ने जान देकर भी किसी को दी अपनी 'नजर'

गौरी लंकेश ने बंगलुरु के मिंटो ऑप्थैल्मिक अस्पताल को अपने आंखें दान कर दी थी. लंकेश की मौत के बाद अस्पताल ने उनके भाई इंद्रजीत लंकेश को आंखे दान करने का प्रमाणपत्र दिया है. उनके भाई इंद्रजीत ने कहा कि दुख की इस घड़ी में भी इस बात की खुशी है कि उनकी आंखों से कोई दुनिया देख सकेगा.

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फाइल फोटो फाइल फोटो

अनुग्रह मिश्र

  • बंगलुरू,
  • 06 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST

वरिष्ठ पत्रकार और एक्टिविस्ट गौरी लंकेश की हत्या पर देशभर के पत्रकारों और सामाजिक संगठनों ने अपना विरोध जताया है. लंकेश की हत्या को अभिवय्क्ति की आजादी पर हमला और फासीवादी ताकतों के उदय के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन दिवंगत पत्रकार गौरी लंकेश खुद ना सही लेकिन उनकी आंखों सो कोई और ये दुनिया जरूर देख सकेगा.

अपनी मौत से पहली है गौरी लंकेश ने बंगलुरु के मिंटो ऑप्थैल्मिक अस्पताल को अपने आंखें दान कर दी थी. लंकेश की मौत के बाद अस्पताल ने उनके भाई इंद्रजीत लंकेश को आंखे दान करने का प्रमाणपत्र दिया है. अब गौरी की आंखें किसी जरुरतमंद के काम आ सकेंगी.

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गौरी लंकेश के भाई ने मीडिया को बताया कि आंखे दान करना उनका सपना था. उन्होंने कहा कि दुख की घड़ी में भी इस बात की खुशी है कि उनकी आंखों से कोई दुनिया देख सकेगा . इंद्रजीत ने कहा गौरी को किसी से कोई खतरा नहीं था, साथ ही वह अपना काम पूरी ईमानदारी से कर रही थीं. इंद्रजीत ने कहा कि वह मेरी बहन थीं लेकिन उनका काम पूरे समाज की बेहतरी के लिए ही था. गौरी के भाई इंद्रजीत ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है.

आपको बता दें कि मंगलवार रात करीब 8.30 बजे अज्ञात हमलावरों ने बंगलुरु में गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी. शुरुआती जांच में सामने आया है कि उन्हें बिल्कुल करीब से गोली मारी गई, जब वह राजराजेश्वरी नगर में अपने घर का दरवाजा खोलने की कोशिश कर रही थीं. उनके सिर पर तीन गोलियां दागी गईं और उनकी तत्काल मौके पर मौत हो गई.

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देश के तमाम बुद्धिजीवियों और पत्रकारों ने गौरी लंकेश की हत्या की कड़ी निंदा की है. उनकी हत्या के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. गौरी लगातार अखबारों में कॉलम लिख रहीं थीं और टीवी न्यूज चैनल डिबेट्स में भी शामिल होती थीं. लंकेश के दक्षिणपंथी संगठनों से वैचारिक मतभेद जगजाहिर थे, जिसकी वजह से उन्हें धमकियां मिलती रहती थीं. कुछ ही वक्त पहले उन्हें एक लेख की वजह से मुकदमा भी झेलना पड़ा था.

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