दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले पांच बड़े अस्पतालों को 6 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. इन अस्पतालों में जीबी पंत, दीनदयाल अस्पताल, अंबेडकर अस्पताल और एलएनजेपी अस्पताल शामिल है. स्टेटस रिपोर्ट में इन सभी अस्पतालों को यह बताना होगा कि कितने मरीज दिल्ली के और कितने बाहर के राज्यों से अस्पतालों में इलाज कराने आते हैं. अपनी स्टेटस रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के आधीन इन अस्पतालों को यह भी बताना होगा कि उनके पास सांप और संसाधनों की कितनी कमी है.
हाईकोर्ट ने इसके अलावा कोर्ट ने एक मेडिकल कमेटी बनाने का भी आदेश दिया है, जिसमें निगरानी खुद कोर्ट करेगा. इससे ये सुनिश्चित हो सके कि अस्पतालों में मरीजों तक सुविधाएं पहुंच रही है या फिर सिर्फ खानापूर्ति ही की जा रही है. कोर्ट इस बात पर बेहद नाराज था कि सरकारी अस्पतालों पर करोड़ों खर्च के बाद भी गरीबों को इलाज नसीब नहीं हो पा रहा है.
दिल्ली सरकार के वकील ने अस्पतालों के बचाव में कहा कि इन अस्पतालों में हालात पहले से सुधरे हैं. लेकिन दिल्ली हाइकोर्ट दिल्ली सरकार के रुख और अस्पताल के हालात से असंतुष्ट दिखा. कोर्ट ने कहा, 'सिर्फ ये कहने से काम नहीं चलेगा कि हालात पहले से ज़्यादा सुधरे हैं. बल्कि आपको ये बताना होगा कि कहां-कहां किस अस्पताल में क्या सुधार आया है. हमें उसकी पूरी रिपोर्ट चाहिए.'
बता दें कि याचिकाकर्ता एक महिला की तरफ से लगाई गई थी जो 9 महीने की गर्भवती थी और अस्पताल की लापरवाही का शिकार होकर उसने अपना बच्चा खो दिया था. याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत मनचंदा ने कोर्ट को बताया कि अस्पतालों के हालात कितने बदतर हैं. इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि जीबी पंत अस्पताल की एमआरआई मशीन पिछले 2 साल से काम ही नहीं कर रही है.
कोर्ट इस पर इतना नाराज था कि एक हफ्ते में जीबी पंत अस्पताल को कोर्ट ने अपनी रिपोर्ट देने को कहा है कि आखिर इतने लंबे समय से एमआरआई मशीन क्यों काम नहीं कर रही है.
मोनिका गुप्ता / पूनम शर्मा