मानव रहित हाइपरसोनिक विमान के सफल परीक्षण पर संशय के बादल

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा तट के पास डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप से मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया. हालांकि बाद में जानकारी आई कि परीक्षण से जैसे परिणाम चाहिए थे, वे नहीं मिले. लेकिन, रक्षा सूत्रों की माने तो हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली के विकास को आगे बढ़ाने के लिए आज का परीक्षण एक बड़ा कदम है.

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एचएसटीडीवी का मॉडल (फोटो-डीआरडीओ) एचएसटीडीवी का मॉडल (फोटो-डीआरडीओ)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 13 जून 2019,
  • अपडेटेड 12:37 PM IST

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बुधवार को ओडिशा तट के पास डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप से मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया. हालांकि बाद में जानकारी आई कि परीक्षण से जैसे परिणाम चाहिए थे, वे नहीं मिले. लेकिन, रक्षा सूत्रों की माने तो हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली के विकास को आगे बढ़ाने के लिए आज का परीक्षण एक बड़ा कदम है.

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ऐसा माना जा रहा है कि हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी ट्रांसपोर्टर व्हीकल के विकास से स्क्रैमजेट तकनीक से बन रहे हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-2 का काम बाधित होगा. भारत और रूस ने दोनों देशों ने ब्रह्मोस को लेकर समझौता किया था. मात्र 1,300 करोड़ रुपये के शुरुआती निवेश से शुरू किए गए ब्रह्मोस संयुक्त उपक्रम का मूल्य आज की तारीख में 40,000 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है. ब्रह्मोस, दोनों देशों द्वारा साझा तौर पर विकसित की गई एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. स्क्रैमजेट के हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के सफल परीक्षण से भारत की रक्षा क्षमता आसमान और अंतरिक्ष दोनों में बढ़ेगी.

डीआरडीओ ने परीक्षण की सफलता पर कुछ भी बोलने से मना करते हुए कहा कि यह परीक्षण इसलिए किया गया ताकि हम भविष्य के लिए तकनीकों को जांच सके. हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट को लॉन्च करते के बाद उसकी गतिविधियों को विभिन्न राडार, टेलीमेट्री स्टेशन और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सेंसर्स से ट्रैक किया गया. अभी डाटा जमा करके उसका विश्लेषण किया जा रहा है. परिणाम आने पर जानकारी दी जाएगी.

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क्या है हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल?

एचएसटीडीवी (हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल) हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है. जो विमान 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़े, उसे हाइपरसोनिक विमान कहते हैं. भारत के एचएसटीडीवी का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था. एक बार इसमें सफलता मिल जाएगी तो भारत ऐसी तकनीक हासिल करने वाले देशों के चुनिंदा क्लब में शामिल हो जाएगा. इस विमान का उपयोग मिसाइल और सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए हो सकता है. इस्तेमाल कम लागत पर उपग्रह लॉन्च करने के लिए भी किया जा सकता है।

चीन, अमेरिका, रूस कर चुके हैं हाइपरसोनिक विमान का सफल परीक्षण

चीन ने हाल ही में अपने पहले हाइपरसोनिक (ध्वनि से तेज रफ्तार वाले) विमान शिंगकॉन्ग-2 या स्टारी स्काय-2 का सफल परीक्षण किया है। चाइना एकेडमी ऑफ एयरोस्पेस एयरोडायनेमिक्स ने चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कारपोरेशन का डिजायन किया यह विमान परमाणु हथियार ले जाने और दुनिया की किसी भी मिसाइल विरोधी रक्षा प्रणाली को भेदने में सक्षम है। हालांकि सेना में शामिल होने से पहले इसके कई परीक्षण किए जाएंगे। अमेरिका और रूस भी हाइपरसोनिक विमान का परीक्षण कर चुके हैं।

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