PM की टीम की अर्थशास्त्री बोलीं- बजट निराशाजनक, 3 घंटे के भाषण में काम की बात नहीं

डॉ अशिमा गोयल ने कहा कि आश्चर्यजनक ये है कि जब सभी लोग स्लोडाउन को लेकर चिंता जता रहे हैं तीन घंटे लंबी बजट स्पीच में स्लोडाइन शब्द को बोला भी नहीं गया, बजट में इस पर कोई चर्चा नहीं है कि आखिर स्लोडाउन से कैसे निपटने की तैयारी है.

Advertisement
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:47 AM IST

  • EAC-PM की सदस्य ने बजट को बताया निराशाजनक
  • 'तीन घंटे के बजट में स्लोडाउन शब्द की चर्चा क्यों नहीं'
  • 'सरकार के पहले बजट में कोई विजन नहीं'

विपक्ष के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम के एक सीनियर ऑफिसर ने बजट को 'निराशाजक' और 'दिशाहीन' करार दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ अशिमा गोयल ने कहा कि ये आश्चर्यजनक है कि वित्त मंत्री ने अपने तीन घंटे के भाषण में 'स्लोडाउन' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया.

Advertisement

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट रिसर्च में एक कार्यक्रम में अशिमा गोयल ने कहा कि बजट विकास के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और खर्च करने में जिम्मेदार बनने के बीच एक संतुलन बनाने की कोशिश है.

निराशाजनक है बजट, कोई विजन नहीं

बजट को निराशाजनक करार देते हुए नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद की अंशकालिक सदस्य अशिमा गोयल ने कहा, "कुल मिलाकर ये निराशाजनक था, क्योंकि नई सरकार के पहले बजट के रूप में इसमें कोई दिशा नहीं थी, इसमें कोई विजन होना चाहिए था."

तीन घंटे के बजट में स्लोडाउन शब्द नहीं

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा कि आश्चर्यजनक ये है कि जब सभी लोग स्लोडाउन को लेकर चिंता जता रहे हैं तीन घंटे लंबे बजट स्पीच में स्लोडाइन शब्द को बोला भी नहीं गया, बजट में इस पर कोई चर्चा नहीं है कि आखिर ये स्लोडाउन से कैसे निपटने जा रहा है.

Advertisement

पढ़ें- महिला अधिकारियों को सेना में मिलेगा स्थाई कमीशन, SC में नहीं चला केंद्र का विरोध

बता दें कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में भारत का विकास दर 10 साल में सबसे कम होकर लगभग 5 फीसदी के आसपास रहने वाली है. इसके लिए वैश्विक परिस्थितियां जिम्मेदार तो हैं ही साथ ही घरेलू मोर्चे पर उपभोग में कमी भी अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है.

CATCH-22 स्थिति में निर्मला

अर्थशास्त्री अशिमा गोयल ने कहा कि बजट बनाते वक्त निर्मला सीतारमण CATCH-22 जैसी स्थिति में थीं. ये वैसी स्थिति होती है जब आपका कोई भी कदम किसी न किसी को नाराज करता ही है.

अशिमा गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार को सब्सिडी मॉडल को बदलने की जरूरत है. खाद्यानों पर दिए जाने वाले सब्सिडी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में अब लोगों की उपभोग की आदतें बदली है और सरकार को अपनी नीतियां उसके मुताबिक तैयार करने की जरूरत है.

सरकार के कुछ फैसलों की तारीफ

इस दौरान डॉ अशिमा गोयल ने बजट के कुछ पहलुओं की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री अपने फैसलों के चलते संतुलन स्थापित करने में कामयाब रही हैं.

पढ़ें- 14 साल बाद खत्म होगा BJP से मरांडी का वनवास, अलग होकर नहीं दिखा पाए थे करिश्मा

Advertisement

गोयल ने वर्ष 2008 की मंदी के दौरान उठाए गए कदमों को इस बार न अपनाने के लिए सरकार की तारीफ की. उन्होंने कहा कि 2008-09 में राजकोषीय घाटा चार परसेंट से ऊपर चला गया था और ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए ब्याज दरें भी निचले स्तर पर कर दी गई थीं.

स्वामी ने किया समर्थन

बीजेपी सांसद डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने डॉ अशिमा गोयल के बयान का समर्थन किया है. उन्होंने कहा है कि वह इस चिंता को लंबे समय से जता रहे हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement