DMK में शुरू हुृई विरासत की जंग, अलागिरी बोले- 5 सितंबर को करेंगे बड़ी रैली

करुणानिधि का देहांत बीते 7 अगस्त को हुआ था. करुणानिधि ने अपने रहते ही छोटे बेटे एमके स्टालिन को अपना सियासी वारिस घोषित कर दिया था. जबकि बड़े बेटे अलागिरी को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का दावा करते हुए बाहर कर दिया था.

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अलागिरी, स्टालिन और करुणानिधि (फाइल फोटो) अलागिरी, स्टालिन और करुणानिधि (फाइल फोटो)

मोहित ग्रोवर

  • चेन्नई,
  • 23 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST

डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के निधन के बाद उनकी पार्टी में सत्ता को लेकर जंग चल रही है. ये जंग किसी और नहीं बल्कि उनके बेटों के बीच ही है. करुणानिधि के बड़े बेटे एमके अलागिरी पार्टी में अपनी वापसी चाहते हैं. इसी मुद्दे को लेकर उन्होंने इंडिया टुडे से बात की.

अलागिरी ने कहा कि वह आने वाली 5 सितंबर को एक बड़ी रैली करेंगी, जिसमें हमारी ताकत दिखाएंगे. उन्होंने कहा कि अब वह राजनीति में पूरी तरह से वापस आ गए हैं, अब उनका अगला लक्ष्य पार्टी कैडर को तैयार करना होगा. उनके भाई एमके स्टालिन को पार्टी अध्यक्ष बनाने की अटकलों के बीच उन्होंने कहा कि उन्होंने बतौर कार्यकारी अध्यक्ष कुछ काम नहीं किया.

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यहां पढ़ें पूरा इंटरव्यू...

सवाल: क्या 5 सितंबर को होने वाली रैली आपके गुट का शक्ति प्रदर्शन होगा?

अलागिरी: ये रैली काफी बड़ी होगी, इसमें पूरे राज्य से समर्थक आएंगे. ये रैली हम करुणानिधि को श्रद्धांजलि देने के लिए कर रहे हैं.

सवाल: क्या आपको लगता है कि आपको दोबारा पार्टी में पहले जैसा स्थान मिल पाएगा?

अलागिरी: नहीं, मैंने पहले ही कह दिया है कि मुझे नहीं लगता कि वह मुझे वापस लेंगे.

सवाल: एमके स्टालिन अब डीएमके के पार्टी अध्यक्ष बनने वाले हैं, आप क्या कहेंगे?

अलागिरी: मुझे इस बारे में नहीं पता है. वह कार्यकारी अध्यक्ष थे, अब अध्यक्ष बनेंगे. लेकिन वह बिल्कुल अप्रभावी कार्यकारी अध्यक्ष रहे हैं.

सवाल: आपका अगला बड़ा कदम क्या होगा?

अलागिरी: मैं अभी इस पर कमेंट नहीं कर सकता हूं. लेकिन 5 सितंबर की रैली में हम आगे की रणनीति पर फैसला करेंगे.

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सवाल: क्या आप राजनीति में दोबारा से सक्रिय होंगे?

अलागिरी: हां, बिल्कुल.

बता दें कि डीएमके की राजनीतिक विरासत को लेकर दोनों भाइयों के बीच पुराना विवाद रहा है. दरअसल, करुणानिधि ने 2016 में ही छोटे बेटे एमके स्टालिन को अपना सियासी वारिस घोषित कर दिया था. इससे पहले ही 2014 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए एमके अलागिरी को निष्कासित कर दिया गया था. अलागिरी पर पार्टी लाइन के खिलाफ काम करने के आरोप थे. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि स्टालिन तीन महीने के अंदर मर जाएंगे.

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