धर्म के नाम पर, आस्था के नाम पर हर राजनेता खूब वोट बंटोरता है, लेकिन भ्रष्टाचार का धर्म क्या किसी आस्था से बड़ा हो जाता है? ये सवाल राजस्थान में उठा है, जहां अवैध खनन का विरोध करते हुए एक संत को पिछले हफ्ते जान देनी पड़ी. पिछले हफ्ते बाबा विजयदास ने सरकारी सुस्ती और भ्रष्टाचारियों के खनन के आगे हताश होकर खुद को आग लगा ली. तस्वीरें विचलित करने वाली हैं. जिनको इलाज के लिए बाद में दिल्ली तक भेजा गया. लेकिन जान नहीं बच पाई इस पूरी कहानी को देखिए और समझिए कि करप्शन में जितनी आस्था नेताओं की होती है, क्यों उतनी ही धर्म के लिए नहीं होती ?
In the name of religion and faith, every politician takes votes, but does the religion of corruption become bigger than any faith? This question has arisen in Rajasthan, where a saint had to die last week while protesting against illegal mining.