राजस्थान में अशोक गहलोत कैबिनेट ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत और विशिष्ट परिस्थितियों में ही 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण के संबंध में विचाराधीन याचिका की सुनवाई के दौरान सभी राज्यों से मांगे गए दृष्टिकोण पर भी विचार-विमर्श किया.
राज्य कैबिनेट ने बैठक के दौरान यह राय जाहिर की कि 1992 के इंदिरा साहनी प्रकरण में आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत सीमा संबंधी निर्णय पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है.
साथ ही, 102वें संविधान संशोधन के बाद राज्यों की विधायी शक्ति का हृास हुआ है. कैबिनेट ने राज्य सरकार के इस आशय का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करने की स्वीकृति भी दी.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट में कल सोमवार को मराठा आरक्षण के मसले पर पांच जजों की बेंच के सामने सुनवाई शुरू हुई. कोर्ट में तमिलनाडु और केरल सरकार की ओर से सुनवाई टालने की अपील की गई है. इन राज्यों की सरकारों का कहना है कि चुनावों के कारण इस सुनवाई को टाल दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये पॉलिसी से जुड़ा फैसला होगा. ऐसे में सरकार अभी कोई पक्ष नहीं ले सकती है.
आपको बता दें कि इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सभी राज्यों से पूछा गया था कि आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाया जा सकता है. अदालत ने हर राज्य की राय मांगी थी, क्योंकि इस फैसले का असर काफी व्यापक हो सकता है.
इससे पहले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से सभी राज्यों से पूछा गया था कि आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाया जा सकता है. अदालत ने हर राज्य की राय मांगी थी, क्योंकि इस फैसले का असर व्यापक हो सकता है.
देव अंकुर