कोरोना महामारी के खिलाफ टीकाकरण अभियान पर हाई कोर्ट की सतर्कता का वकीलों ने विरोध किया है. 2 टीकों के फैसले को लेकर वकीलों के विरोध के बाद राजस्थान हाई कोर्ट ने फिजिकल सुनवाई नहीं करने का निर्णय लिया है.
राजस्थान हाई कोर्ट ने केवल उन्हीं वकीलों को पहले हाई कोर्ट परिसर में आने की इजाजत दी थी, जिन्होंने कोरोना के दूसरे टीके के बाद 14 दिन का वक्त पूरा कर लिया है. हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ वकीलों ने विरोध जताया. वकीलों के विरोध के बाद हाई कोर्ट को भी यह फैसला करना पड़ा.
कोर्ट की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक केवल उन्हीं अधिवक्ताओं को इस प्रक्रिया से छूट मिलेगी, जिन्होंने स्वास्थ्य कारणों से वैक्सीन नहीं लगवाई है. हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से दी गई छूट को ही वैध मानने का फैसला किया था.
प्रदेश में वकीलों की ओर से जताए गए विरोध के बाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने एक मीटिंग बुलाई थी. मीटिंग में बार काउंसिल के निर्णय के बारे में चर्चा की गई, जिसके बाद अदालत ने निर्णय किया कि फिलहाल मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही होगी.
28 जून से शुरू होने वाली थी फिजिकल हियरिंग
राजस्थान हाई कोर्ट के पहले निर्णय के मुताबिक प्रदेश में 28 जून से फिजिकल मामलों की सुनवाई लगभग 3 महीनों के बाद शुरू होनी थी, जो कि अब फिलहाल नहीं होगी. कोरोना काल की वजह से अदालतों ने फिजिकल हियरिंग रोक दी थी.
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा में भी विधायकों के लिए वैक्सीनेशन जरूरी होने का निर्देश दिया गया था. देश के अलग-अलग हिस्सों में वैक्सीनेशन को अनिवार्य किया जा रहा है. स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन अपने कर्मचारियों को टीकाकरण के लिए निर्देश दे रहा है.
देव अंकुर