राजस्थान के धौलपुर जिले में वैश्विक महामारी कोरोना के बीच सावन की पहली सोमवारी में मंदिर में लोगों का हूजूम देखने को मिला. जिले के ऐतिहासिक सैपऊ के शिव मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जल चढ़ाने पहुंचे, लेकिन इस कोरोना गाइडलाइंड की किसी को परवाह न रही.
मंदिर में सरकार की गाइडलाइन को लोग बिल्कुल भूल गए. न लोग मास्क लगाए थे और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे. मंदिर के पास दुकानें भी लग गई और इनको रोकने के लिए प्रशासन ने कोई कदम तक नहीं उठाये. मंदिर प्रशासन ने गर्भगृह को बंद करा दिया है.
गर्भगृह के बाहर दरवाजों पर पाइप लाइन की फिटिंग कराई गई है. पाइप लाइन के माध्यम से भगवान भोलेनाथ को सहस्त्रधारा, गंगाजल एवं दुग्ध अर्पित किए जा रहे हैं.
भगवान आशुतोष को बाहर से ही भोग प्रसादी लगाकर पूजा अर्चना की गई है. गर्भगृह के अंदर तो भीड़ को रोक दिया गया है लेकिन बाहर भारी तादाद में भक्तों का जमावड़ा देखा जा रहा है, जिससे मंदिर पर सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ती नजर आई.
श्रावण महीना लगने के बाद पहले सोमवार को शिवालयों पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. भगवान आशुतोष की पूजा अर्चना करने के लिए महिला एवं पुरुष श्रद्धालु सुबह से ही मंदिरों पर पहुंच गए.
भक्तों ने पुष्प, दुग्ध, शर्करा, रोली, गंगाजल, रुद्राभिषेक कर ज्ञान, वैराग्य एवं भक्ति का वरदान मांगा. सुबह से ही मंदिरों पर श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लग गई.
मंदिर में खचाखच भीड़ होने की वजह से सामाजिक दूरी भी दूर-दूर तक दिखाई नहीं थी. प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी लचर और गैर जिम्मेदार दिखाई दी. गौरतलब है कि इस वर्ष श्रावण के महीने में चार सोमवार पड़ेंगे.
ज्योतिष के मुताबिक, चारों सोमवार में साधना और आराधना का अच्छा योग माना जा रहा है. बता दें कि सावन का महीना भगवान शिव को सबसे प्रिय होता है. इसमें सबसे अधिक सोमवार मनोकामना पूरी करने वाला होता है.
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उमेश मिश्रा