बहुचर्चित भंवरी देवी अपहरण व हत्या मामले में आरोपी पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा को कैंसर की पुष्टि होने पर पीईटी सिटी स्केन की सुविधा जोधपुर में नहीं होने पर राजस्थान हाई कोर्ट ने पुलिस सुरक्षा के साथ जयपुर में जांच कराने के निर्देश जारी किए हैं.
मदेरणा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जगमाल सिंह चौधरी और उनके सहयोगी प्रदीप चौधरी ने कैंसर रोग का उपचार हायर सेंटर में कराने को लेकर अंतरिम जमानत के लिए याचिका पेश की थी.
जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत में मंगलवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप चौधरी ने पक्ष रखते हुए बताया कि याचिकाकर्ता को कैंसर है और चौथी स्टेज के कैंसर की पुष्टि हो चुकी है, जबकि जोधपुर में पीईटी सिटी स्केन की सुविधा नहीं है. ऐसे में हायर सेंटर पर जांच कराने एवं उपचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाए.
कोर्ट में सीबीआई की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक ने इस पर कोई विरोध प्रकट नहीं किया. लिहाजा कोर्ट ने जोधपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए कि बुधवार शाम को ही याचिकाकर्ता को जांच के लिए जयपुर के भगवान महावीर कैंसर अस्पताल लेकर जाएं. अब मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी.
गौरतलब है कि साल 2011 में राजस्थान की नर्स और लोकगायिका भंवरी देवी गायब हो गईं थी. गुमशुदगी के बाद पता चला कि भंवरी देवी की हत्या हुई थी. इस मामले में महिपाल मदेरणा और मलखान सिंह विश्नोई पर हत्या का आरोप लगा. बाद में इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि जांच का काम सीबीआई को दिया गया.
सीबीआई के सामने सबसे अहम सवाल था कि आखिर भंवरी को सीडी के भंवर में किसने फंसा रखा था? उस सीडी में क्या था? और उस सीडी को लेकर भंवरी ने ऐसा क्यों कहा था कि अगर सीडी चल पड़ी तो तीन दिन में राजस्थान की सरकार गिर जाएगी? सीडी के सच को समझने के लिए भंवरी को जानना जरूरी था. एक मामूली नर्स भंवरी की असल जिंदगी में क्या हैसियत और रुतबा था उसे परखना जरूरी था. और उसे परखते-परखते आखिरकार सीबीआई मंजिल तक पहुंच ही गई.
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