स्वर्ण मंदिर में चेहरे पर तिरंगा लगाई हुई युवती से सेवादार ने की बदसलूकी, SGPC ने दी सफाई

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक लड़की के साथ बदसलूकी का मामला सामने आया है. घटना का वीडियो वायरल होने के बाद एसजीपीसी ने बयान जारी किया है और कहा है कि यदि किसी ने दुर्व्यवहार किया है तो वह माफी मांगते हैं.

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युवती ने गाल पर तिरंगा लगाया था और इसे लेकर सेवादार द्वारा उसके साथ बदसलूकी की गई युवती ने गाल पर तिरंगा लगाया था और इसे लेकर सेवादार द्वारा उसके साथ बदसलूकी की गई

कमलजीत संधू

  • अमृतसर,
  • 17 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST

पंजाब के अमृतसर स्थित विश्व प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) में युवती श्रद्धालु के साथ बदसलूकी का मामला सामने आया है. इस घटना के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने बयान जारी किया है और कहा है कि अगर किसी को ठेस पहुंची तो वह क्षमा मांगते है. चौंकाने वाली बात ये है कि युवती के गाल पर तिरंगा बना हुआ था और एक कर्मचारी ने इस पर ऐतराज जताया.

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एसजीपीसी ने मांगी माफी

इस बारे में एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल का कहना है कि 'बड़ी शर्म की बात है कि लोग ट्वीट कर रहे हैं. यहां देश विदेशों से जितने भी श्रदालु आते हैं, हम उनका आदर करते है. सिखों ने देश की आज़ादी में भी अहम भूमिका निभाई लेकिन हर बार सिखों को ही निशाना बनाया जाता है.'

ग्रेवाल ने कहा, 'यह एक सिख धर्मस्थल है, हर धार्मिक स्थान की अपनी मर्यादा होती है. हम सभी का स्वागत करते हैं... अगर किसी अधिकारी ने दुर्व्यवहार किया है तो हम क्षमा चाहते हैं. उसके चेहरे पर लगा झंडा हमारा राष्ट्रीय ध्वज नहीं था क्योंकि उसमें अशोक चक्र नहीं था. यह एक राजनीतिक झंडा लग रहा था.'

सभी धर्मों के लोग आते हैं गोल्डन टेंपल

आपको बता दें कि स्वर्ण मंदिर आध्यात्मिक रूप से सिख धर्म का सबसे महत्वपूर्ण स्थल है. हरमंदिर साहिब में जीवन के सभी क्षेत्रों और धर्मों के लोगों को पूजा के लिए आने की पूरी छूट है. इसमें चार प्रवेश द्वारों के साथ सरोवर के चारों ओर एक परिक्रमा पथ है. परिसर में गर्भगृह और सरोवर के आसपास कई इमारतें बनी हुई हैं, इनमें से एक अकाल तख्त (Akal Takht) है, जो सिख धर्म के धार्मिक अधिकार का प्रमुख केंद्र है.

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गुरुद्वारे के परिसर में एक घंटाघर, गुरुद्वारा समिति का कार्यालय, एक संग्रहालय और एक लंगर शामिल है. यहां एक मुक्त सिख समुदाय द्वारा संचालित रसोईघर में बिना किसी भेदभाव के सभी श्रद्धालुओं को सामान्य शाकाहारी भोजन परोसता है. प्रतिदिन 1,00,000 से अधिक लोग स्वर्ण मंदिर पूजा के लिए आते हैं.


 

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