पंजाब में मोबाइल टावरों में किसान प्रदर्शनकारियों की ओर से तोड़फोड़ पर अब सीएम और राज्यपाल आमने-सामने हैं. राज्य में लगभग 1600 मोबाइल टावरों में तोड़फोड़ को गंभीरता से लेते हुए राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को समन किया तो कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने ऑफिसरों के बचाव में उतर आए.
कैप्टन ने राज्यपाल पर हमला करते हुए कहा कि राज्यपाल बीजेपी के प्रोपगैंडा में फंस गए हैं और हमारे अफसरों को बुला लिया. कैप्टन ने कहा कि अगर राज्यपाल को कानून व्यवस्था की जानकारी लेनी ही थी तो वह सीधे मुझसे लेते क्योंकि राज्य का गृह विभाग मेरे ही पास है. कैप्टन ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यपाल बीजेपी की 'एंटिक्स' के सामने झुक गए.
बता दें कि राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने राज्य में मोबाइल टावरों में तोड़फोड़ के मुद्दे पर कानून व्यवस्था की स्थिति का जायजा लेने के लिए मुख्य सचिव और पुलिस चीफ को समन किया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कैप्टन ने कहा कि ये सिर्फ बीजेपी का प्रोपगैंडा है ताकि कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन से लोगों का ध्यान हटाया जा सके.
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया, 'मोबाइल टावरों की मरम्मत की जा सकती है, लेकिन दिल्ली बॉर्डर पर मरने वाले किसानों को वापस नहीं लाया जा सकता है. लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर बीजेपी का झूठा प्रोपगैंडा पंजाब में विभाजनकारी रणनीति का हिस्सा है, ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यपाल ने मेरे अफसरों को समन किया बजाय इसके कि वो मुझसे रिपोर्ट मांगते."
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्यपाल ने बीजेपी नेताओं के कानून व्यवस्था के मुद्दे पर की गई शिकायत पर मात्र एक दिन में प्रतिक्रिया दे दी. लेकिन विधानसभा द्वारा पास बिलों को राष्ट्रपति के पास सहमति के लिए भेजने में उन्होंने काफी देर लगा दी.
राज्य बीजेपी नेतृत्व पर हमला करते हुए कैप्टन ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को 'नक्सल' और 'खालिस्तानी' कहने के बजाय बीजेपी को अपने केंद्रीय नेताओं को कहना चाहिए कि वे किसानों की मांगों को मानें और काले कृषि कानून को वापस लें.
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