पंजाबः HC ने झूठा पाया सरकार का हलफनामा, अवैध खनन की CBI जांच के दिए आदेश

पंजाब सरकार की ओर से हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा गया था कि रूपनगर जिले में अवैध वसूली के नाकों के संचालन का आरोप गलत है. हालांकि हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से दायर हलफनामे को अपनी जांच में झूठा पाया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

मनजीत सहगल

  • चंडीगढ़,
  • 17 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 12:41 AM IST

  • गलत बताया था अवैध वसूली नाका संचालन का आरोप
  • विपक्षी दलों ने हाईकोर्ट के आदेश का किया स्वागत

अपनों के ही तीखे हमले झेल रही पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार अब अवैध खनन के मुद्दे पर घिर गई है. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से दायर हलफनामा जांच में झूठा पाए जाने पर अवैध खनन की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने के आदेश दिए हैं. पंजाब सरकार की ओर से हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा गया था कि रूपनगर जिले में अवैध वसूली के नाकों के संचालन का आरोप गलत है.

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हाईकोर्ट के निर्देश पर जांच हुई तो अवैध वसूली के नाकों के संचालन की शिकायत सही और पंजाब सरकार के हलफनामे में कही गई बात झूठी पाई गई. जांच में यह पाया गया कि पंजाब सरकार की नाक के नीचे खनन माफिया बेधड़क अपना काम कर रहे हैं. कोर्ट ने अवैध खनन और वसूली के नाकों की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट की ओर से कराई गई जांच में यह पाया गया है कि रूपनगर जिले में माइंस एंड मिनरल्स एक्ट का उल्लंघन हो रहा है. ठेकेदार न केवल निर्धारित क्षेत्रफल से बाहर खनन कर रहे हैं, बल्कि निर्धारित गहराई से ज्यादा खुदाई भी कर रहे हैं.

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नियमों के मुताबिक खुदाई सिर्फ 10 फीट गहरी की जा सकती है. लेकि सवारा, बेहारा और हरसा बेला में की गई खुदाई की गहराई 18 फीट से लेकर 40 फीट तक पाई गई है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद कैप्टन सरकार विरोधी दलों के नेताओं के साथ अपनों के निशाने पर भी आ गई है. विपक्षी शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) और आम आदमी पार्टी (एएपी) के साथ ही कांग्रेस के कई नेता भी कैप्टन सरकार पर खनन माफियाओं को संरक्षण देने के आरोप लगा चुके हैं. एसएडी ने रूपनगर में अवैध खनन की जांच सीबीआई से कराने के हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत किया है.

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एसएडी नेता डॉक्टर दलजीत चीमा ने कहा कि अवैध खनन का खेल लगभग हर जिले में चल रहा है. सीबीआई जांच का दायरा अन्य जिलों तक भी बढ़ाया जाए. वहीं, इस मामले में जनहित याचिका दायर करने वाले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के वकील दिनेश चड्ढा ने कहा कि खनन माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार के पास प्रभावी नीति नहीं है. उन्होंने कहा कि पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कुछ सुझाव दिए थे, लेकिन सरकार ने उन पर गौर नहीं किया.

तीन साल में दर्ज हुए 688 मामले

पंजाब सरकार ने दावा किया है कि अवैध खनन को लेकर खनन माफियाओं के खिलाफ पिछले तीन साल में 688 मामले दर्ज किए गए हैं. इस साल अब तक अवैध खनन के 201, 2019 में 252 और 2018 में 235 मामले दर्ज किए गए. इस साल दर्ज किए गए मामलों में 189 लोगों को आरोपी बनाया गया है. कहा जा रहा है कि लॉकडाउन के दौरान भी खनन माफिया अपना काम खुलेआम करते रहे. पिछले तीन महीने में 299 वाहन जब्त किए गए हैं, जिनका इस्तेमाल अवैध खनन में किया जा रहा था.

सरकार का दावा- राजस्व में हुआ 20 गुना इजाफा

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पंजाब सरकार रेत की खदानों के ऑनलाइन ऑक्शन से राजस्व में 20 गुना इजाफा हुआ है. सरकार पिछले तीन साल में राजस्व प्राप्ति के आंकड़े जारी करने से भी कतरा रही है. खनन माफिया न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि वे सरकारी खजाने को भी चपत लगा रहे हैं. प्रदेश में रातोदिन खनन का कार्य चल रहा है, लेकिन सरकार का खजाना खाली है. बता दें कि यह मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) भी पहुंचा था. एनजीटी ने 10 जुलाई 2020 को आदेश दिया था कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अवैध खनन के आरोपी ठेकेदारों से 315 करोड़ रुपये वसूल करे.

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