पंजाब सरकार के किसान बिल की आगे की राह क्या? गवर्नर और राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी

पंजाब सरकार ने आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल की दबाव की राजनीति को नाकाम करने के लिए विधानसभा से बिल तो पास कर दिया, लेकिन आगे इस बिल की राह मुश्किलों भरी है.

Advertisement
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (फोटो-पीटीआई) पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (फोटो-पीटीआई)

aajtak.in

  • चंडीगढ़,
  • 21 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST
  • पंजाब विधानसभा ने पास किए 4 बिल
  • बिल पर राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी
  • केंद्र के कृषि कानून हो जाएंगे असरहीन

पंजाब सरकार ने नए कृषि कानूनों को खारिज करते हुए विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर दिया है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने एमएसपी से कम कीमतों पर गेहूं और धान की बिक्री पर रोक लगा दी है. राज्य सरकार के इस कदम का राज्य की सभी पार्टियों ने समर्थन किया है. 

केंद्र के कृषि कानूनों को असरहीन करने के लिए राज्य सरकार ने मंगलवार को चार बिल भी लेकर आई है. इसमें तीन संशोधन बिल भी हैं. 

Advertisement

बीजेपी के दो विधायकों को छोड़ दें तो मंगलवार को सदन में मौजूद सभी दलों ने इस बिल का समर्थन किया और इसके पक्ष में मतदान किया. 

बता दें कि मंगलवार को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि क्यों न उनकी कुर्सी चली जाए वे किसानों के हितों के साथ समझौता नहीं करेंगे. 

पंजाब सरकार ने आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल की दबाव की राजनीति को नाकाम करने के लिए विधानसभा से बिल तो पास कर दिया, लेकिन आगे इस बिल की राह मुश्किलों भरी है. 

देखें: आजतक LIVE TV

इस बिल पर अब अगर राज्यपाल वीपीएस बंदोरे और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सहमति देंगे तभी ये बिल कानून बन पाएगा. 

मंगलवार को राजभवन में कृषि बिल पर विधानसभा का प्रस्ताव सौंपने के बाद सीएम अमरिंदर सिंह ने कहा कि अगर राज्यपाल बिल पर सहमति नहीं देते हैं तो वे कानूनी उपाय का सहारा लेंगे. 

Advertisement

अगर राज्यपाल इन बिलों पर अपनी सहमति नहीं देते हैं तो ये बिल सिर्फ राजनीतिक प्रस्ताव भर रह जाएगा और इसका वास्तविक फायदा किसानों को नहीं मिलेगा. राज्यपाल के द्वारा बिल पर सहमति देने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा, राष्ट्रपति द्वारा इस पर मुहर लगाने के बाद ही ये बिल कानून बन पाएगा. 

बता दें कि संविधान की धारा 254(2) के तहत एक राज्य केंद्र के कानून में बदलाव कर सकता है बशर्ते ये कानून का बिषय समवर्ती सूची में हो. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement