पंजाब: दलितों के दिल में कौन? बादल ने चला डिप्टी CM का दांव, तो कैप्टन ने दिया 30% फंड

पंजाब में कांग्रेस से लेकर अकाली दल तक की नजर प्रदेश के 32 फीसदी दलित वोटबैंक पर है. अंबेडकर जयंती के मौके पर शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने सत्ता में आने पर दलित समुदाय से डिप्टी सीएम बनाने का वादा किया तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब में सभी योजनाओं में कम से कम 30 प्रतिशत फंड राज्य की अनुसूचित जाति की भलाई के लिए खर्च करने का दिशा निर्देश जारी किया है.

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कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखबीर बादल कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखबीर बादल

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 15 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST
  • पंजाब में 32 फीसदी दलित समुदाय की आबादी है
  • अकाली दल ने दलित डिप्टी सीएम का चला दांव
  • कांग्रेस सरकार ने दलितों को दिया सौगात

पंजाब में अगले साल के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से ही सियासी समीकरण बनाए जाने लगे हैं. कांग्रेस से लेकर अकाली दल तक की नजर प्रदेश के 32 फीसदी दलित वोटबैंक पर है. अंबेडकर जयंती के मौके पर शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने सत्ता में आने पर दलित समुदाय से डिप्टी सीएम बनाने का वादा किया तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब में सभी योजनाओं में कम से कम 30 प्रतिशत फंड राज्य की अनुसूचित जाति की भलाई के लिए खर्च करने का दिशा निर्देश जारी किया है. ऐसे में देखना है कि 2022 के चुनाव में दलित मतदाताओं की पहली पसंद कौन बनता है? 

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सुखबीर बादल का दलित डिप्टी सीएम का दांव

शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने बुधवार को जालंधर में ऐलान किया है कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी जीतकर सत्ता में आती है तो डिप्टी सीएम दलित परिवार से बनाया जाएगा. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि दोआबा के क्षेत्र में अंबेडकर के नाम पर यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी. साथ ही बादल ने साल 2022 के चुनाव में गठबंधन करने के संकेत भी दिया हैं. उन्होंने दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावनाओं के भी संकेत दिए हैं और कहा है कि उनके संपर्क में कई पार्टियां हैं.

कैप्टन अमरिंदर ने दलितों के लिए खोला पिटारा

वहीं, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अंबेडकर जयंती पर दलित समुदाय को साधने की कवायद करते नजर आए. उन्होंने इस मौके पर सभी विभागों में एससी पदों का बैकलॉग प्राथमिकता के आधार पर भरने का ऐलान किया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सियाजीराव गायकवाड़ द्वारा स्थापित योजना के अंतर्गत बाबा साहेब को दी गई बड़ौदा स्टेट स्कॉलरशिप स्कीम की तर्ज पर एससी विद्यार्थियों के लिए पोस्ट-मैट्रिक ओवरसीज स्कॉलरशिप स्कीम की संभावनाएं तलाशने का भी वादा किया. मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि उनकी सरकार ने 'हर घर पक्की छत' के तहत गांवों में एससी वर्ग के लिए 30 फीसदी आरक्षण और सरकार की सिविल सर्विस समेत प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए जालंधर में डॉ. अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग स्थापित करने की योजना है. 

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मुख्यमंत्री ने वित्तीय वर्ष 2022 के लिए ग्रामीण लिंक सड़कों के लिए विशेष प्रोजेक्ट का भी ऐलान किया, जिसके तहत एसी वर्गों की आबादी के लिए नए लिंक रोड बनाए जाएंगे. 50 फीसदी से अधिक दलित आबादी वाले गांवों के आधुनिकीकरण करने के लिए  100 करोड़ रुपये आवंटित किया. कैप्टन ने कहा कि सरकारी स्कूलों में 12वीं कक्षा के सभी एससी विद्यार्थियों को स्मार्टफोन दिए जाएंगे, जबकि डेयरी फार्मिंग के लिए प्रेरित करने के लिए 9 प्रशिक्षण और एक्स्टेंशन सेंटरों में गांव स्तरीय 150 जागरूकता कैंप लगाए जाएंगे और अनुसूचित जाति के लाभार्थियों पर विशेष जोर दिया जाएगा.

देश में सबसे ज्यादा दलित वोटर पंजाब में

बता दें कि देश में सबसे ज्यादा 32 फीसदी दलित आबादी पंजाब में रहती है, जो राजनीतिक दशा और दिशा बदलने की पूरी ताकत रखती है. पंजाब का यह वर्ग पूरी तरह कभी किसी पार्टी के साथ नहीं रहा है. दलित वोट आमतौर पर कांग्रेस और अकाली के बीच बंटता रहा है. हालांकि, बीएसपी ने इसमें सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन उसे भी एकतरफा समर्थन नहीं मिला. वहीं आम आदमी पार्टी के पंजाब में दलित वोटों को साधने के लिए तमाम कोशिश की,. लेकिन बहुत हिस्सा उसके साथ नहीं गया. 

दलित दो हिस्सों में बंटा हुआ है

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पंजाब में दलित वोट अलग-अलग वर्गों में बंटा है. यहां रविदासी और वाल्मीकि दो बड़े वर्ग दलित समुदाय के हैं. देहात में रहने वाले दलित वोटरों में एक बड़ा हिस्सा डेरों से जुड़ा हुआ है. ऐसे में चुनाव के वक्त ये डेरे भी अहम भूमिका निभाते हैं. महत्वपूर्ण है कि दोआबा की बेल्ट में जो दलित हैं, वे पंजाब के दूसरे हिस्सों से अलग हैं. इसकी वजह यह है कि इनमें से अधिकांश परिवारों का कम से कम एक सदस्य एनआरआई है. इस नाते आर्थिक रूप से ये काफी संपन्न हैं. इनका असर फगवाड़ा, जालंधर और लुधियाना के कुछ हिस्सों में है.

अगले साल 2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने है और ऐसे में अब सभी पार्टियां दलित वोटरों पर और ज्यादा फोकस करती रही हैं. बादल के दलित डिप्टीसीएम के दांव के फौरन बाद भी कैप्टन अमरिंदर ने दलित समुदाय के लिए विकास का पिटारा खोल दिया. इस तरह से कांग्रेस और अकाली में दलित वोटों के लिए शह-मात का खेल शुरू हो गया है. देखना है कि दलितों के दिल में कौन जगह बना पाता है. 

 

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