पटियाला में आढ़तियों के यहां IT की रेड, कैप्टन-सुखबीर बोले- किसानों का साथ देने की सजा

समाना में पटियाला जिले के प्रधान जसविंदर राणा के घर पर इनकम टैक्स विभाग की छापेमारी पूरी रात चलती रही. वहीं दूसरी तरफ समाना में आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान पवन बंसल के दफ्तर और घर पर इनकम टैक्स विभाग ने छापेमारी की. 

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पंजाब के CM अमरिंदर सिंह (PTI फोटो) पंजाब के CM अमरिंदर सिंह (PTI फोटो)

सतेंदर चौहान

  • चंडीगढ़,
  • 19 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:44 PM IST
  • पटियाला में आढ़तियों के ठिकानों पर छापे
  • छापेमारी के दौरान CRPF के जवान मौजूद
  • पटियाला के प्रधान जसविंदर के घर पर छापा

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच आयकर विभाग ने पटियाला में आढ़तियों के ठिकानों पर छापा मारा है. पटियाला जिले के समाना में शुक्रवार शाम को आढ़ती एसोसिएशन से संबंधित लोगों के घरों पर इनकम टैक्स के ताबड़तोड़ छापे पड़े. इनकम टैक्स की टीम के साथ सीआरपीएफ की बटालियन भी मौजूद थी.

समाना में पटियाला जिले के प्रधान जसविंदर राणा के घर पर इनकम टैक्स विभाग की छापेमारी पूरी रात चलती रही. वहीं दूसरी तरफ समाना में आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान पवन बंसल के दफ्तर और घर पर इनकम टैक्स विभाग ने छापेमारी की. पटियाला इनकम टैक्स हेड ऑफिस के बाहर शनिवार सुबह से ही सीआरपीएफ की एक बटालियन तैनात रही. 

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सीएम अमरिंदर और सुखबीर बादल ने साधा निशाना

बड़े और नामी आढ़तियों समेत आढ़ती एसोसिएशनों के प्रधान और अन्य नेताओं पर इनकम टैक्स की रेड किए जाने का पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और साथी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने विरोध किया है. दरअसल इस रेड के दौरान पंजाब पुलिस को भी जानकारी नहीं दी गई और इनकम टैक्स की टीमें अपने साथ सीआरपीएफ के जवानों को लेकर यह रेड कर रही हैं. 

कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखबीर बादल ने आरोप लगाया है कि आढ़तियों के खिलाफ यह सब इसलिए किया जा रहा है क्योंकि वो किसान आंदोलन को लगातार समर्थन दे रहे हैं. साथ ही आढ़तियों की ओर से किसानों के समर्थन के लिए भारी चंदा भी दिया जा रहा है. 

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बता दें कि कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ किसान बीते 24 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं. किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. वहीं, मोदी सरकार का कहना है कि वह बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन किसानों की मांग है कि कृषि कानूनों को रद्द किया जाए तभी वार्ता संभव है. सरकार और किसानों में अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रही हैं. 
 

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