स्वर्ण मंदिर को 'नो-वॉर जोन' घोषित करने की मांग... गुरदासपुर सांसद ने PM मोदी को लिखा पत्र

गुरदासपुर सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए अनुरोध किया है कि पवित्र स्वर्ण मंदिर (श्री हरमंदिर साहिब) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'नो-वॉर ज़ोन' घोषित किया जाए. उन्होंने इसे महज एक राजनीतिक मांग नहीं, बल्कि पूरी मानवता की सुरक्षा और शांति के प्रतीक की रक्षा के रूप में प्रस्तुत किया है.

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स्वर्ण मंदिर को नो वॉर घोषित करने की मांग की गई है स्वर्ण मंदिर को नो वॉर घोषित करने की मांग की गई है

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2025,
  • अपडेटेड 5:11 PM IST

पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और गुरदासपुर सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए अनुरोध किया है कि पवित्र स्वर्ण मंदिर (श्री हरमंदिर साहिब) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'नो-वॉर ज़ोन' घोषित किया जाए. उन्होंने इसे महज एक राजनीतिक मांग नहीं, बल्कि पूरी मानवता की सुरक्षा और शांति के प्रतीक की रक्षा के रूप में प्रस्तुत किया है.

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रंधावा ने अपने पत्र में लिखा है कि श्री हरमंदिर साहिब केवल एक भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि सिख धर्म की आत्मा है. यह प्रेम, करुणा, एकता और शांति का स्रोत है, जिसकी आध्यात्मिक ऊर्जा दुनिया भर के करोड़ों लोगों को जोड़ती है. उन्होंने कहा कि श्री अमृतसर साहिब की भूमिका वैसी ही है जैसी मक्का मुसलमानों के लिए और वैटिकन ईसाइयों के लिए है.

पत्र में उन्होंने जोर दिया कि जिस तरह से दुनिया के कई हिस्सों में सैन्य तनाव और संघर्ष बढ़ रहे हैं, ऐसे में “सरबत दा भला” (सबका भला) की सिख भावना को वैश्विक स्तर पर संरक्षित किया जाना चाहिए. भारत-पाक तनाव के संदर्भ में श्री अमृतसर साहिब की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने चिंता जताई कि यदि भविष्य में कोई सैन्य संघर्ष होता है तो यह पवित्र स्थल खतरे में पड़ सकता है.

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राजनीतिक नहीं, आध्यात्मिक और मानवीय अपील

रंधावा ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि उनकी यह मांग वैटिकन जैसी राजनीतिक संप्रभुता के लिए नहीं है, बल्कि यह अपील है कि श्री अमृतसर को अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक महत्व प्राप्त हो और सुरक्षा के ऐसे प्रावधान किए जाएं जो इसे हमेशा युद्ध और हिंसा से दूर रखें. उन्होंने लिखा, “यह अपील न केवल एक धर्म की आत्मा की रक्षा है, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए एक शांति के प्रतीक की सुरक्षा का प्रयास है.”

भारत सरकार से की गई अपील

पत्र में रंधावा ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह इस दिशा में आवश्यक कूटनीतिक और विधायी प्रयास करें और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मिलकर श्री अमृतसर साहिब को "नो-वॉर ज़ोन" घोषित कराने के लिए कार्य करें. उन्होंने कहा कि यह केवल सिख समाज का नहीं, बल्कि पूरे देश और विश्व का नैतिक दायित्व है कि ऐसे पवित्र स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.

'नो वॉर जोन' क्या होता है?

No-War Zone एक ऐसा क्षेत्र होता है जिसे औपचारिक रूप से किसी भी प्रकार की सैन्य गतिविधियों, संघर्षों या युद्ध से मुक्त रखने की प्रतिबद्धता जताई जाती है. ऐसे क्षेत्रों को विशेष नैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक या मानवीय महत्व के कारण युद्ध की स्थिति में भी सुरक्षित रखा जाता है. इसका उद्देश्य होता है कि चाहे दुनिया में कितनी भी भौगोलिक या राजनीतिक उथल-पुथल हो, उस क्षेत्र की पवित्रता, शांति और सुरक्षा को किसी भी हाल में खतरा न पहुंचे. 

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उदाहरण के तौर पर, वेटिकन सिटी, मक्का या संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित कुछ अस्पताल व शरणार्थी शिविर इस विचारधारा के अंतर्गत आते हैं. नो वॉर ज़ोन की मान्यता आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, विशेष संधियों या राष्ट्रों के संयुक्त प्रयासों से प्राप्त होती है.

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