फर्जी मुठभेड़ और कर्नल पर अटैक केस... पंजाब पुलिस के चार आरोपी अफसर अब भी फरार, हाईकोर्ट सख्त

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अनुप चितकारा ने आरोपी इंस्पेक्टर रॉनी सिंह सल्ह की अग्रिम ज़मानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह घटना पुलिस शक्ति के पूर्ण दुरुपयोग का ज्वलंत उदाहरण है. यदि ऐसे उच्च स्तर के पुलिस अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो यह समाज की सुरक्षा और गरिमा के लिए खतरा होगा. यह न केवल आमजन का बल्कि देश के सशस्त्र बलों की गरिमा का भी अपमान है.

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पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टरों पर रिटायर्ड कर्नल से मारपीट का आरोप है (प्रतीकात्मक तस्वीर) पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टरों पर रिटायर्ड कर्नल से मारपीट का आरोप है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

अमन भारद्वाज

  • चंडीगढ़,
  • 25 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:50 AM IST

पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टरों पर लगे फर्जी मुठभेड़ और भारतीय सेना के एक रिटायर कर्नल व उनके बेटे पर जानलेवा हमले के आरोपों ने राज्य की कानून-व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है. दो महीने बीत जाने के बाद भी आरोपी इंस्पेक्टर अब तक फरार हैं. पंजाब और चंडीगढ़ पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद उनका कोई सुराग नहीं लग पाया है. हाईकोर्ट ने एक आरोपी इंस्पेक्टर रॉनी सिंह सल्ह की अग्रिम जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी.

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दरअसल, 13 मार्च की रात पटियाला के एक ढाबे के बाहर पार्किंग को लेकर हुए विवाद में सेवानिवृत्त कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाथ और उनके बेटे के साथ पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टरों व उनके सुरक्षाकर्मियों ने बर्बरतापूर्वक मारपीट की. सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि कर्नल का आईडी कार्ड और मोबाइल छीन लिया गया और उन्हें फर्जी एनकाउंटर की धमकी भी दी गई. इस हमले में कर्नल का हाथ टूट गया जबकि उनके बेटे के सिर में गंभीर चोट आई.

कर्नल बाथ और उनका परिवार मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और पंजाब पुलिस के डीजीपी से मिले, लेकिन दो महीने बीतने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है.

हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अनुप चितकारा ने आरोपी इंस्पेक्टर रॉनी सिंह सल्ह की अग्रिम ज़मानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह घटना पुलिस शक्ति के पूर्ण दुरुपयोग का ज्वलंत उदाहरण है. यदि ऐसे उच्च स्तर के पुलिस अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो यह समाज की सुरक्षा और गरिमा के लिए खतरा होगा. यह न केवल आमजन का बल्कि देश के सशस्त्र बलों की गरिमा का भी अपमान है.

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चारों आरोपी अब भी फरार, पुलिस की किरकिरी

चारों आरोपी इंस्पेक्टर रॉनी सिंह सल्ह, हरजिंदर ढिल्लों, हैरी बोपाराय और शामिंदर सिंह न केवल कर्नल हमले में आरोपी हैं बल्कि उसी दिन एक अन्य कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में भी संलिप्त हैं. उन्हें सस्पेंड कर राज्य से बाहर भेजा गया, लेकिन अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. पंजाब और चंडीगढ़ पुलिस दोनों ने कई जगह छापेमारी की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. यह स्थिति पंजाब पुलिस के लिए बेहद शर्मनाक मानी जा रही है.

45 दिन की समयसीमा खत्म, जांच अधर में

तत्कालीन एसएसपी नानक सिंह ने मार्च में बयान दिया था कि विभागीय जांच 45 दिन में पूरी कर ली जाएगी, लेकिन अब मई अंत तक आते-आते भी जांच अधूरी है. मौजूदा एसएसपी वरुण शर्मा से कर्नल बाथ के परिवार ने हाल ही में मुलाकात की, जहां उन्हें बताया गया कि कुछ अधिकारियों पर जांच बंद कर दी गई है जबकि कुछ पर अभी भी लंबित है.

मुठभेड़ का मामला: एक और परिवार की न्याय की लड़ाई

इन्हीं तीन आरोपी इंस्पेक्टरों पर एक 22 वर्षीय युवक जसप्रीत सिंह की कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या का आरोप भी है. जसप्रीत 13 मार्च को पटियाला के मांडौर गांव में मारा गया था. वह कनाडा से लौटकर अपने परिवार को सरप्राइज देने आया था. पुलिस ने दावा किया कि वह एक अपहरण के मामले में शामिल था और मुठभेड़ में मारा गया.

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लेकिन परिवार का आरोप है कि जसप्रीत को बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड के पकड़कर तीन घंटे बाद मार डाला गया. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सात गोली लगने की पुष्टि हुई, जिनमें तीन पॉइंट-ब्लैंक रेंज से मारी गई थीं. कुछ चश्मदीदों ने उसे आत्मसमर्पण करते देखा था. घटना में संदिग्ध रूप से पहले से तैनात एंबुलेंस ने इस मुठभेड़ को फर्जी करार देने की आशंका को और बल दिया.

पुलिस को मिला इनाम, परिजनों को मिला अपमान

इस मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों को डीजीपी द्वारा ₹10 लाख का इनाम और पदोन्नति तक दी गई. वहीं जसप्रीत के माता-पिता बालजीत कौर और लखविंदर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर न्यायिक निगरानी में समयबद्ध CBI जांच की मांग की है.

अब SIT जांच पर निगाहें, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं

हाईकोर्ट के आदेश पर कर्नल बाथ मामले की जांच अब चंडीगढ़ पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) कर रही है, जिसकी समयसीमा चार महीने की तय की गई है. अप्रैल में जांच शुरू हुई, लेकिन मई के अंत तक न तो आरोपी पकड़े गए हैं, न ही जांच में कोई ठोस प्रगति हुई है.

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