पंजाब में अकाली दल और बीजेपी के समय में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं पर दर्ज हुए मामले वापस होंगे. जस्टिस गिल कमिशन की रिपोर्ट के आधार पर कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने ये फैसला किया है.
पंजाब में रिटायर्ड जस्टिस मेहताब सिंह गिल कमीशन ने पिछली अकाली-भाजपा सरकार के दौरान राजनैतिक तौर पर प्रेरित और झूठे मामलों संबंधी अपनी सातवीं और अंतरिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सौंप दी है .
कमीशन ने दुर्भावनापूर्ण रूप से दर्ज की 21 एफआईआर रद्द करने की सिफारिश की जबकि इस दौर में 179 मामलों की जांच करने के बाद इनमें से 158 झूठे मामले खारिज कर दिए हैं. कमीशन को कुल 4213 शिकायतें हासिल हुई हैं जिनमें से अब तक 1074 शिकायतों का निपटारा किया जा चुका है और 746 को खारिज कर दिया गया है. वहीं 328 शिकायतों पर कार्यवाही करने की सिफारिश की गई है.
कमीशन ने अपनी सातवीं रिपोर्ट में 21 मामलों में एफआईआर रद्द करने के अलावा दोषी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही करने की भी सिफारिश की है. इनमें से कुछ पुलिस वालों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 58 और आईपीसी की धाराओं 193 और 195 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करने की भी सिफारिश की गई है.
कमीशन की अब तक की गई सिफारशों के अमल में तेजी लाने के लिए सरकार की तरफ से जिला मजिस्ट्रेटों और जिला अटॉर्नियों को पहले ही नोडल अफसर नियुक्त किया गया है. गृह विभाग डायरेक्टर प्रोसिक्यूशन और लिटीगेशन के साथ-साथ जिला मजिस्ट्रेटों, जिला पुलिस प्रमुख और जिला अटॉर्नियों को विस्तार में हिदायत जारी कर चुका है.
नोडल अफसरों को कमीशन की सिफारशों को तीन हफ्तों में पालन करने की हिदायत दी गई है. गृह विभाग की सूचना में कमीशन को सीधे तौर पर रिपोर्ट सौंपने के लिए भी कहा गया है.
सतेंदर चौहान