पंजाब में एक बार वही नजारा दिखाई देने वाला है जो नब्बे के दशक के मध्य के बाद से अब तक नहीं देखा गया था. खुफिया एजेंसियों से मिली चेतावनी के अनुसार, प्रदेश में एक बार फिर खालिस्तान समर्थक ताकतें सिर उठाने की कोशिश कर रही हैं, जिसे रोकने के लिए केंद्रीय बलों की बड़े पैमाने पर तैनाती की योजना बन रही है. योजना के तहत मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बीच 19 अप्रैल को उच्चस्तरीय बैठक हुई.
खालिस्तानी उग्रवादियों और स्थानीय गैंगस्टरों के बीच सांठगांठ के सबूत उस वक्त सामने आए जब पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने स्थानीय हिंदू नेताओं, डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों और सिख धर्म की मुख्यधारा से हटकर उपदेश देने वालों की हत्या की जांच शुरू की.
पिछले साल अक्तूबर में लुधियाना के आरएसएस नेता रवींद्र गोसाईं की हत्या के केस में एनआइए के 2,000 पन्नों के आरोपपत्र में खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के कथित 15 लोगों के नाम हैं. इसमें गैंगस्टर धरमिंदर सिंह गुगनी भी है, जिस पर कई हत्या के लिए हथियारों का इंतजाम करने का आरोप है.
पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा कहते हैं कि शुरुआत के तौर पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) की दो कंपनियां (करीब 300 सुरक्षा कर्मी) भारी सुरक्षा वाली उन जेलों में तैनात की जाएंगी जहां खालिस्तानी आतंकवादी और अपराधी सरगना बंद हैं.
इनमें पटियाला, लुधियाना, कपूरथला, होशियारपुर, फिरोजपुर, फरीदकोट, बठिंडा, अमृतसर, गुरदासपुर और नाभा की जेलें शामिल हैं. मुख्यमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय भी पंजाब में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की पांच कंपनियां (करीब 700 सुरक्षाकर्मी) भेजने के लिए तैयार हो गया है. उन्होंने बताया, ''ये कंपनियां जरूरत के हिसाब से अलग-अलग जगहों पर आंतरिक सुरक्षा की ड्यूटी के तौर पर तैनात की जाएंगी.''
उन्होंने खुफिया जानकारियों के हवाले से बताया कि खालिस्तानी ताकतें पाकिस्तान, जर्मनी, इटली, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और पश्चिम एशिया से गतिविधियां चला रही हैं और पंजाब को फिर अस्थिर करना चाहती हैं.
राज्य सरकार ने नवंबर 2016 में नाभा जेल से अपराधियों के भागने की घटना के बाद ही गैंगस्टर और आतंकवादियों के बीच गठजोड़ की चेतावनी दे दी थी. इस वारदात में हथियारबंद लोगों ने हमला कर कुख्यात सरगना विकी गोंडर और दो खालिस्तानी को छुड़ा लिया था, जिनमें केएलएफ कापूर्व प्रमुख हरमिंदर सिंह मिंटू भी शामिल था.
भारी सुरक्षा वाली जेलों में बंद आतंक के आरोपी और अपराधी सरगनाओं के बारे में पता चला है कि वे मोबाइल फोन से विदेशों में रह रहे अपने रहनुमाओं के संपर्क में हैं. पंजाब के नवनियुक्त जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा कहते हैं कि पिछले 12 महीनों में जेल बैरकों से 1,500 से ज्यादा मोबाइल जब्त हुए हैं.
पुलिस ने जेलों में इंटरनेट रोकने के लिए टेलीकॉम कंपनियों की मदद ली है. जेलों के पास मोबाइल टावरों पर निगरानी रखी जाएगी. एक आला पुलिस अधिकारी कहते हैं, ''इससे कॉल ट्रैक करना आसान हो जाएगा. जेल कर्मचारी भी अपने फोन के दुरुपयोग को लेकर सावधान हो जाएंगे. ''
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मंजीत ठाकुर