संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन, यानी शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने राज्यसभा में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) पर एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया. विपक्षी सदस्यों ने इस बिल का विरोध किया और प्रस्तावित विधेयक पर मतदान की मांग की.
बिल का प्रस्ताव देते ही राज्यसभा में विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया. सभापति विपक्ष के वर्ताव को लेकर नाराज भी हुए. सभापति ने उठकर कहा कि सदस्यों के पास बिल पेश करने का अधिकार है. अगर इससे किसी भी सदस्य को परेशानी है, तो उन्हें इसपर राय रखने का अधिकार है, लेकिन इस तरह विरोध करने की ज़रूरत नहीं है. सासंदों को शांत कराने के बाद उन्हें इस बिल पर राय देने को कहा गया.
सासंदों ने रखी अपनी राय, किया कड़ा विरोध
तमिलनाडु से एमडीएम के सासंद वाइको ने कहा कि ये सरकार देश को बर्बादी की तरफ ले जा रही है. उन्होंने कहा कि इस बिल को पेश नहीं किया जाना चाहिए. इसके बाद, केरल के IUML के सांसद अब्दुल वाहब ने कहा कि ये बिल देश के हित में नहीं है और उन्होंने इस बिल को वापस लेने की मांग की.
सपा सांसद राम गोपालयादव ने कहा कि अगर कोई बात संविधान के अनुकूल है तो उसे रखने से कोई रोक नहीं सकता, लेकिन अगर अनुकूल नहीं है, तो इन्हें रोका जा सकता था और इन्हें ये बिल वापस ले लेना चाहिए था. उन्होंने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने ऐसा व्यवस्था की थी कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों को बुलडोज़ न किया जा सके. समान संहिता की बात सही नहीं.
वहीं, कांग्रेस सांसद एल हनुमंतय्या ने कहा कि ये बिल देश की स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. आरएलडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि आप एक परिवार एक भविष्य की बात कर रहे हैं, उसके लिए ज़रूरी है कि अपने घरों की दीवारों को भी गिराना होगा. उन्होंने कहा कि ये देशहित में नहीं है, ये हमें अंधी खाई में ले जाएगा. इनके अलावा भी कई सांसदों ने इस बिल के विरोध में अपने विचार रखे.
डिविज़न स्लिप से की गई वोटिंग
सभी सासंदों की बात सुनकर इस बिल को पेश करने को लेकर वोटिंग की गई और बिल पेश कर दिया गया. इसके बाद डिविज़न स्लिप के माध्यम से भी वोटिंग की गई. वोटिग में 63 वोट पक्ष में थे और 23 विपक्ष में. इसके बाद मोशन एडॉप्ट कर लिया गया और आखिरकार किरोड़ी लाल मीणा ने बिल पेश किया.
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड
व्यक्तिगत कानूनों को समाप्त करते हुए, यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम. इसका मतलब है कि भारत में रहने वाले हर हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. समान नागरिक संहिता जहां भी लागू की जाएगी वहां, शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा.
पारुल चंद्रा