पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल करने के बाद, बंगाल पर टीएमसी (TMC) काबिज है. फरवरी 2022 में बंगाल में 108 नगरपालिकाओं के चुनाव (West Bengal Municipal Election) होने हैं. इसको लेकर टीएमसी जी जान से जुटी है. हालांकि, चुनाव के पहले पार्टी में उम्मीदवारों को लेकर अलग-अलग जिलों में जंग छिड़ी हुई है.
चुनावी रणनीतिकार और राजनीतिज्ञ प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले से ही ममता बनर्जी के साथ काम कर रहे हैं. प्रशांत किशोर तृणमूल कांग्रेस के सलाहकार रहे हैं और विधानसभा चुनाव में टीएमसी की सफलता के पीछे प्रशांत किशोर का ही हाथ माना जाता है.
वरिष्ठ नेताओं को पसंद नहीं आए प्रशांत किशोर के उम्मीदवार
निकाय चुनावों के लिए प्रशांत किशोर ने उम्मीदवारों के नाम सुझाए थे. पार्टी के ओल्ड गार्ड यानी पुराने नेता इससे सहमत नहीं थे. प्रशांत किशोर के सुझाए गए नामों से पार्टी में हंगामा हो रहा था. पुराने नेताओं ने इसकी शिकायत ममता बनर्जी से भी की थी. इस मामले को संभालने के लिए, ममता बनर्जी ने इन पुराने नेताओं का एक वर्किंग ग्रुप बनाया. इन नेताओं ने इसकी जानकारी प्रशांत किशोर को दी. कैंडिडेट लिस्ट को लेकर प्रशांत किशोर और टीएमसी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के बीच तनाव बरकरार है.
टीएमसी का साथ छोड़ना चाहते हैं प्रशांत किशोर
टीएमसी सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी भी प्रशांत किशोर से इस मुद्दे पर नाराज चल रही हैं. अब प्रशांत किशोर बंगाल, त्रिपुरा और मेघालय में टीएमसी के लिए काम नहीं करना चाहते, जिसके बारे में उन्होंने ममता को बताया. ममता बनर्जी ने भी इसके जवाब में सिर्फ 'थैंक्यू' कह दिया. इससे साफ है कि दीदी अब अब प्रशांत किशोर के खिलाफ हैं. हालांकि, अभिषेक बनर्जी ने रविवार एक विशेष साक्षात्कार में कहा, 'पार्टी की सूची को लेकर मामूली मतभेद हैं. ग्रोथ को लेकर समस्या है. हम इसे सुलझा लेंगे.'
लेकिन 2024 के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रशांत किशोर की भूमिका अब भी वही है, जैसी पहले थी, क्योंकि अभिषेक बनर्जी ऐसा चाहते हैं. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस मुद्दे पर, टीएमसी प्रशांत किशोर की संस्था आई पैक के साथ अपना संबंध तोड़ रही है. टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक सोमवार को ममता बनर्जी लखनऊ में रहेंगी और आनेवाले दो साल ममता का फोकस राष्ट्रीय राजनीति पर है. ऐसे में प्रशांत किशोर के बगैर राष्ट्रीय राजनीति की रणनीति तय कर पाना टीएमसी के लिए कठिन काम है. इसलिए, शायद ही ममता इस वक्त आई पैक से संबंध तोड़ें.
अनुपम मिश्रा