किसान आंदोलन के समर्थन में हनुमान बेनीवाल ने संसद की तीन समितियों से दिया इस्तीफा

नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. वो लगातार किसानों के लिए आवाज उठा रहे हैं. हनुमान बेनीवाल ने इससे पहले कहा था कि किसानों के लिए बने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होनी चाहिए.

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हनुमान बेनीवाल (फाइल फोटो) हनुमान बेनीवाल (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 7:33 PM IST
  • कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे बेनीवाल
  • तीन संसदीय समितियों की सदस्यता से इस्तीफा
  • NDA से अलग होने की भी दे चुके हैं धमकी

एनडीए के सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के अध्यक्ष हनुमान बेनिवाल ने शनिवार को ससंद की तीन समितियों की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा दिया है. हनुमान बेनीवाल ने अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजा है.

हनुमान बेनीवाल ने कहा कि 26 दिसंबर को वह दो लाख किसानों के साथ दिल्ली की ओर कूच करेंगे और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में बने रहने के बारे में भी फैसला उसी दिन होगा. बिरला को भेजे पत्र में बेनीवाल ने संसद की उद्योग संबंधी स्थायी समिति, याचिका समिति व पेट्रोलियम व गैस मंत्रालय की परामर्श समिति से इस्तीफा देने बात की है.

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हनुमान बेनीवाल के अनुसार, उन्होंने सदस्य के रूप में जनहित से जुड़े अनेक मामलों को उठाया, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए वह किसान आंदोलन के समर्थन में व लोकहित के मुद्दों को लेकर संसद की तीन समितियों के सदस्य पद से इस्तीफा दे रहे हैं. 

बता दें कि नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. वो लगातार किसानों के लिए आवाज उठा रहे हैं. हनुमान बेनीवाल ने इससे पहले कहा था कि किसानों के लिए बने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होनी चाहिए. सांसद बेनीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों के हित में फैसला लेना चाहिए नहीं तो उनके लिए भी मुश्किल खड़ी हो सकती है.

हनुमान बेनीवाल ने ये भी कहा था कि अगर केंद्र सरकार इन कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती है तो वे एनडीए को अपने समर्थन पर विचार करेंगे. हनुमान बेनीवाल ने कहा था कि मैंने केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध किया है और अमित शाह को एक पत्र लिखा है कि अगर काले कानूनों को रद्द नहीं किया जाता है, तो हम एनडीए को अपना समर्थन जारी रखने के बारे में सोचेंगे.

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