आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बुधवार को राज्यसभा के शून्यकाल में लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और आंदोलनकारियों पर की जा रही कार्रवाई का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया. उन्होंने केंद्र सरकार पर संविधान, नागरिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाना लोकतंत्र का गला घोंटने की साजिश है.
संजय सिंह ने सदन में कहा कि सोनम वांगचुक कोई अपराधी नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित शिक्षाविद और जलवायु कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने शिक्षा, सतत विकास और हिमालयी क्षेत्र के संरक्षण के लिए ऐतिहासिक काम किया है. उन्होंने कहा कि वांगचुक ने हमेशा अहिंसक और संवैधानिक तरीकों से अपनी बात रखी, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने उनकी आवाज दबाने के लिए कठोर कानूनों का सहारा लिया. संजय सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार अब सवाल पूछने वालों से डरने लगी है, इसलिए उन्हें जेल में डाला जा रहा है.
उन्होंने बताया कि 24 सितंबर 2025 को लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हुए आंदोलनों के दौरान चार लोगों की मौत हुई, 70 से अधिक लोग घायल हुए और 70 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया. इनमें से कई पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया गया है और आज भी 10 से अधिक लोग जेल में बंद हैं. संजय सिंह ने कहा कि यह वही लद्दाख है, जिसने 1948, 1962, 1971, 1999 के कारगिल युद्ध और 2020 के सीमा तनाव के दौरान देश के साथ मजबूती से खड़े होकर अपनी राष्ट्रभक्ति साबित की है.
उन्होंने सोनम वांगचुक की पत्नी द्वारा जताई गई आशंकाओं का हवाला देते हुए कहा कि जेल में उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. संजय सिंह ने कहा कि यह पूरा मामला संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का खुला उल्लंघन है और यह दर्शाता है कि सरकार लोकतंत्र की बजाय दमन के रास्ते पर चल रही है.
संजय सिंह ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सीमावर्ती और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र के नागरिकों को डराकर देश की एकता को मजबूत नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र आवाज दबाने से नहीं, बल्कि संवाद से मजबूत होता है.
उन्होंने सदन के माध्यम से मांग की कि सोनम वांगचुक को तुरंत रिहा किया जाए, उनके खिलाफ लगाया गया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून वापस लिया जाए, लद्दाख आंदोलन से जुड़े सभी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को बिना शर्त रिहा किया जाए और राज्य का दर्जा व छठी अनुसूची को लेकर लद्दाख के प्रतिनिधियों से तत्काल सार्थक संवाद शुरू किया जाए.
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