सीधी पेशाब कांड से बीजेपी की किरकिरी, क्या आदिवासी वोटबैंक पर पड़ेगा असर?

सीधी पेशाब कांड से मध्य प्रदेश सरकार की किरकिरी हो रही है. कांग्रेस पार्टी इस घटना को आदिवासी अस्मिता पर चोट बता रही है. बीजेपी अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. बता दें कि आदिवासी वोटर्स राज्य की जनसंख्या का 21 फीसदी हिस्सा हैं.

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आदिवासी युवक पर पेशाब का मामला तूल पकड़ चुका है आदिवासी युवक पर पेशाब का मामला तूल पकड़ चुका है

aajtak.in

  • भोपाल,
  • 05 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 10:02 PM IST

मध्य प्रदेश का एक वीडियो सोशल मीडिया वह वायरल है. इसमें कथित बीजेपी नेता एक आदिवासी युवक पर पेशाब करता दिखता है. सीधी जिले के कुबरी गांव का ये वीडियो ऐसे वक्त पर सामने आया है जब विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और इसके लिए केसरिया पार्टी आदिवासी वोटर्स को लुभाने की कोशिशों में लगी है. वो आदिवासी वोटर्स जो राज्य की जनसंख्या का 21 फीसदी हिस्सा हैं. 36 साल के जिस आदिवासी शख्स पर प्रवेश शुक्ला पेशाब करता दिखा वह कोल समुदाय से आता है. वहां भील और गोंड के बाद यह आदिवासियों का तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है.

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प्रवेश शुक्ला को बीजेपी के विधायक केदारनाथ शुक्ला का प्रतिनिधि बताया जा रहा है. हालांकि, विधायक खुद इससे इनकार कर रहे हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस ने केदारनाथ शुक्ला संग प्रवेश शुक्ला की फोटोज सामने रख दी हैं.

बता दें कि मात्र चार दिन पहले पीएम मोदी MP के शहडोल में आदिवासी समुदाय से मुलाकात कर रहे थे. उनके कई कार्यक्रमों में भी मोदी ने हिस्सा लिया था. चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में मोदी खुद चार दिन में दो दौरे कर चुके हैं.

आदिवासियों का सपोर्ट हासिल करने की कोशिश

चुनाव से पहले बीजेपी का आदिवासियों के तुष्टिकरण पर पूरा जोर है. 16वीं सदी की गोंडवाना शासक रानी दुर्गावती की याद में बीजेपी पांच बड़ी यात्राएं निकाल चुकी है, जिसे वीरांगना रानी दुर्गावती गौरव यात्राएं नाम दिया गया. बता दें कि रानी दुर्गावती ने मुगलों से लड़ते हुए वीरगति पाई थी.

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दुर्गावती की याद में जबलपुर में बड़ा मेमोरियल, एक पोस्टल स्टैंप, एक फिल्म बनाने का ऐलान किया जा चुका है. इसके अलावा 5 अक्टूबर को उनकी 500वीं जयंती पर राष्ट्रव्यापी उत्सव की तैयारी है.

इसके साथ ही सिकल सेल एनीमिया को लेकर पीएम मोदी ने देशव्यापी अभियान भी शुरू किया है. इस बीमारी से देशभर की बड़ी आदिवासी जनसंख्या प्रभावित है. इस अभियान की शुरुआत करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू का भी जिक्र किया था, जो खुद आदिवासी समाज से आती हैं.

मजबूत वोट बैंक है आदिवासी समाज

मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीट हैं. इसमें से 47 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं. साल 2018 में बीजेपी ने इन रिजर्व सीटों पर ठीक प्रदर्शन नहीं किया था. इनमें से बीजेपी सिर्फ 15 जीत पाई थी, वहीं कांग्रेस को 31 मिली थी. इन्हीं सीटों के बलबूते कमलनाथ तब सरकार बनाने में कामयाब हो गए थे. आदिवासियों पर बीजेपी की खास नजर इस वजह से भी है क्योंकि इन 47 सीटों के साथ-साथ आसपास की 30 विधानसभाओं पर भी आदिवासी वोट असर डालता है.

मध्य प्रदेश के आदिवासियों पर फोकस सिर्फ विधानसभा चुनाव नहीं लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भी किया जा रहा है. यहां कुल 29 लोकसभा सीटों में से 6 अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में 28 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी.

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बीजेपी ने काफी पहले शुरू कर दी थी तैयारी

साल 2020 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने फिर सरकार बनाई. इसके बाद से बीजेपी ने आदिवासी जनसंख्या को खुश करने के लिए कई कदम उठाए हैं, मानों तब से इस वोटबैंक पर नजर थी. इसमें आदिवासी प्रतीकों को याद करना, उनकी याद में संग्रहालय बनवाना. आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना, उनकी जयंती मनाना शामिल है. इतना ही नहीं रेलवे स्टेशनों, यूनिवर्सिटीज का नाम भी आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखा गया.

जैसे, नवंबर 2021 में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन किया गया. 18वीं सदी की गोंड रानी को बीजेपी भोपाल की आखिरी हिंदू शासक कहती है. इसके अलावा बिरसा मुंडा की जयंती को बीजेपी सरकारी छुट्टी घोषित कर चुकी है. इससे पहले तक यह वैकल्पिक अवकाश हुआ करता था.

आदिवासियों को बीजेपी से जोड़ने के लिए ही अमित शाह ने इसी साल फरवरी में कोल जनजाति महाकुम्भ को संबोधित किया था. यहां शाह ने 1831 में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हुए विद्रोह के लिए कोल समुदाय के योगदान का जिक्र भी किया था.

क्या हो पाएगा डैमेज कंट्रोल?

इस सबके बीच सीधी की घटना ने बीजेपी को तगड़ा झटका दिया है. कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को 'आदिवासी अस्मिता' पर चोट बताया है. कांग्रेस के हमलों के बीच राज्य की बीजेपी सरकार ने घटना को अमानवीय माना और आरोपी पर NSA के तहत कार्रवाई की बात कही है. यहां तक कि उसके घर पर बुलडोजर एक्शन भी हुआ. शिवराज की तरफ से यह भी कहा गया कि आरोपी का कोई धर्म-जाति या राजनीति पार्टी नहीं होती है.

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लेकिन इस बीच सवाल यही है कि क्या घटना की वजह से पार्टी को हुए नुकसान की भरपाई की जा सकेगी? क्या प्रवेश शुक्ला पर हुए एक्शन से आदिवासी समुदाय संतुष्ट होगा? ये सवाल इसलिए बड़े हैं क्योंकि राज्य में सरकार बनाने के लिए आदिवासी वोट काफी अहम हैं, यह बात बीजेपी एसटी मोर्चा के अध्यक्ष कलसिंह भाभर भी मानते हैं.

रिपोर्ट - मिलिंद घटवाई

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं, इन्हें पत्रकारिता में तीन दशकों से अधिक का अनुभव है)

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