कितने समय तक सीएम रहूंगा इसकी परवाह नहीं करता: कर्नाटक सीएम

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज एस बोम्मई इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शामिल हुए और उन्होंने कहा कि आप कितने समय तक रहें, इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए, कार्यकाल के दौरान आप जो करते हैं वह महत्वपूर्ण है. इसी सिद्धांत पर हम कर रहे हैं और इससे हमें शांति मिली. मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि हम कितने समय तक सीएम रहूंगा. साथ ही उन्होंने कहा कि कर्नाटक में बीजेपी लिंगायत पर निर्भर नहीं है बल्कि सभी समाज का समर्थन है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 08 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 6:32 PM IST
  • कर्नाटक में बीजेपी सिर्फ लिंगायत पर निर्भर नहीं
  • बीएस येदियुरप्पा ने नई पीढ़ी के लिए कुर्सी छोड़ी है
  • नीट की परीक्षा पर स्टालिन सियासत कर रहे हैं

इंडिया टुडे समूह के इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 के 19वां संस्करण का आगाज हो चुका है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज एस बोम्मई कॉन्क्लेव में शामिल हुए और उन्होंने कहा कि आप कितने समय तक रहे, इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए, कार्यकाल के दौरान आप जो करते हैं वह महत्वपूर्ण है. इसी सिद्धांत पर हम कर रहे हैं और इससे हमें शांति मिली. मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि हम कितने समय तक सीएम रहूंगा.

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कर्नाटक के सीएम बोम्मई से इंडिया टुडे ग्रुप में कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने पूछा कि क्या उनकी कुर्सी सुरक्षित है कोई उनकी सरकार गिराने की कोशिश नहीं करेगा. इस सवाल का जवाब देते हुए बोम्माई ने कहा कि मुझे ही नहीं किसी को भी यह चिंता नहीं करनी चाहिए कि आप कितने समय तक कुर्सी पर रहते हैं. आप अपने कार्यकाल के दौरान जो करते हैं वह अधिक महत्वपूर्ण है. इसी तरह से काम करते पर मुझे शांति मिलती है. 

बीजेपी शासित तीन राज्यों में सीएम बदलने के सवाल बोम्मई ने कहा कि पार्टी नए नेतृत्व को आगे लाने के लिए इस तरह का फैसला करती है. इसके अलावा नई विचार और विकास के नए कामों को लाने के लिए भी परिवर्तन किया जाता है. इसी के साथ उन्होंने कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा को लेकर कहा कि वो काफी मजबूत नेता है. कर्नाटक के विकास में उनका अहम योगदान है. 

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येदियुरप्पा ने नई पीढ़ी के लिए रास्ता बनाया

बसवराज बोम्मई ने कहा कि पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा ने अकेले दम पर कर्नाटक में बीजेपी को स्थापित करने का काम किया है और पार्टी के लिए कई लड़ाइयां जीतीं. उन्होंने कहा कि बीएस येदियुरप्पा ने अगली पीढ़ी के लिए रास्ता बनाया. वह एक ऐसी संस्कृति है, जिसे उन्होंने लाया है. वो इतना मजबूत नेता है कि मुझे लगता है कि केवल वह ही अपनी भविष्य की कार्रवाई तय कर सकता था. 

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021पर कहा कि बीजेपी में सबसे बड़ा लोकतंत्र है. केंद्र के हस्ताक्षेप के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी का सिद्धांत मजबूत केंद्र और मजबूत राज्य है. यह सिद्धांत एक मजबूत राष्ट्र बनाने का काम करता है. जहां तक प्रशासन का संबंध है कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जहां केंद्र से आपके परामर्श करना पड़ा है. यही नहीं केंद्र भी कभी-कभी हमसे सलाह लेता है. केंद्र और राज्य को एक दूसरे के साथ सामंजस्य बनाकर चलना चाहिए. 

बीजेपी कर्नाटक में सभी की पार्टी है

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि बीजेपी अब कर्नाटक में सभी वर्गों और समाज की पार्टी है और केवल लिंगायत समुदाय पर निर्भर नहीं है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 में बोलते हुए बोम्मई ने कहा कि बीजेपी को अब कर्नाटक में भी एससी, एसटी, ओबीसी और वोक्कालिगा समाज का समर्थन प्राप्त है. 

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बीजेपी एक लिंगायत केंद्रित पार्टी है, क्योंकि अधिकांश बीजेपी सांसद और विधायक उत्तर कर्नाटक से चुने जाते हैं. इस पर उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि लिंगायत कर्नाटक की महत्वपूर्ण जाति है. बीजेपी के आधार में लिंगायत समाज का बड़ा योगदार है. लेकिन, सभी वर्गों के समर्थन के बिना, कोई भी पार्टी सत्ता में नहीं आ सकती है. कर्नाटक में एससी, एसटी, ओबीसी, वोक्कालिगाओं ने भी पार्टी का समर्थन किया है. भाजपा अब कर्नाटक में किसी एक समाज की नहीं बल्कि सभी वर्गों की पार्टी है. 

NEET पर क्या बोले बोम्मई

बसवराज बोम्मई ने कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) जारी रहनी चाहिए और मेडिकल परीक्षा का विरोध करने के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने राज्य में कभी कोई प्रतियोगी परीक्षा नहीं दी थी. कर्नाटक जैसे राज्यों में, हमारे पास एक आम प्रवेश परीक्षा है जहां जीवन के सभी क्षेत्रों के बच्चे किसी भी कॉलेज के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं. नीट कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) का ही विस्तार है. 

बता दें पिछले कुछ दिन तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने 11 गैर-बीजेपी शासित राज्यों और गोवा में अपने समकक्षों को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने के लिए नीट परीक्षा का विरोध करने में उनका समर्थन मांगा था कि संबंधित राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों और समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के छात्रों को मेडिकल की शिक्षा के प्रवेश में कठिनाई में नहीं डाला जाए. 

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