पीसी चाको: कभी गांधी परिवार को बताया था 'देश का पहला परिवार', अब छोड़ दी कांग्रेस

केरल में विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने पार्टी छोड़ दी है. टिकट बंटवारे पर असंतोष जाहिर करते हुए पीसी चाको ने अपना इस्तीफा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दिया है.

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पीसी चाको ने कांग्रेस छोड़ दी (फाइल फोटो) पीसी चाको ने कांग्रेस छोड़ दी (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 4:14 PM IST
  • पीसी चाको ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा
  • केरल में टिकट बंटवारे पर असंतोष है वजह

केरल में विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने पार्टी छोड़ दी है. टिकट बंटवारे पर असंतोष जाहिर करते हुए पीसी चाको ने अपना इस्तीफा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दिया है. पीसी चाको बीते कई दिनों से हाईकमान से नाराज चल रहे थे. केरल के चुनाव में पार्टी ने एक तरह से उन्हें साइडलाइन कर दिया था.

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आइए जानते हैं कि पीसी चाको के कांग्रेस छोड़ने से पार्टी को क्या नुकसान होगा. सबसे पहले बात करेंगे पीसी चाको के राजनीतिक सफर की. पीसी चाको ने अपने राजनीति की शुरुआत यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट यूनियन से की थी. वह इंडियन यूथ कांग्रेस के केरल प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. 1980 में पीसी चाको पहली बार विधानसभा पहुंचे.

1980 में पीसी चाको पीरवम विधानसभा सीट से जीते और जीतेत ही ईके नयनार सरकार में उद्योग मंत्री बन गए. इसके बाद पीसी चाको केरल से ही लोकसभा पहुंचे. पीसी चाको पर 1998 से 2009 के बीच हुए 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच का जिम्मा भी रहा. वह ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) के चेयरपर्सन थे.

इसी दौरान पीसी चाको पर बीजेपी ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में जेपीसी रिपोर्ट बदलने का आरोप लगाया. बीजेपी का कहना था कि पीसी चाको कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं. इसी रिपोर्ट को लेकर बीजेपी ने खूब हंगामा किया, लेकिन तत्कालीन स्पीकर मीरा कुमार ने बीजेपी को लोकसभा में प्रदर्शन करने से रोक दिया था.

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2014 के लोकसभा चुनाव में पीसी चाको चलकुडी लोकसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन वह चुनाव हार गए थे. इसके बाद वह काफी समय तक दिल्ली के प्रभारी भी रहे. इसी दौरान शीला दीक्षित और पीसी चाको में ठन भी गई थी. पीसी चाको, शीला दीक्षित पर कई तरह के आरोप लगा रहे थे और आम आदमी पार्टी (आप) से गठबंधन के पक्ष में थे.

हालांकि, शीला दीक्षित और कांग्रेस हाईकमान ने पीसी चाको के सुझाव को खारिज कर दिया था. इस बीच शीला दीक्षित की मौत हो गई. उस दौरान संदीप दीक्षित ने पीसी चाको पर पत्र लीक करने का आरोप लगाया था. 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को दिल्ली में शर्मनाक हार मिली और इसके बाद पीसी चाको ने प्रदेश प्रभारी का पद छोड़ दिया.

आपको बता दें कि पीसी चाको वही नेता हैं, जिन्‍होंने करीब दो साल पहले गांधी परिवार को 'देश का पहला परिवार' बताकर बखेड़ा खड़ा कर दिया था, तब इसके लिए उनकी खासी आलोचना हुई थी और बीजेपी ने उनपर गांधी परिवार की चाटुकारिता का आरोप लगाया था, लेकिन केरल चुनाव के दौरान पीसी चाको बागी हो गए हैं.

सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में पीसी चाको ने लिखा, 'मैं केरल से आता हूं जहां कांग्रेस जैसी कोई पार्टी नहीं है. वहां दो पार्टियां हैं- कांग्रेस (I) और कांग्रेस (A). दो पार्टियों की कोऑर्डिनेशन कमिटी है जो KPCC की तरह काम कर रही है, केरल एक अहम चुनाव के मुहाने पर है, लोग कांग्रेस की वापसी चाहते हैं मगर शीर्ष नेता गुटबाजी में लगे हैं.'

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