केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार या आंखों का इलाज... नीतीश के दिल्ली दौरे का क्या है राज?

नीतीश कुमार के दिल्ली जाने पर ये अटकले तेज हो गई हैं कि क्या जेडीयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने जा रहा है. इस पर नीतीश कुमार ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं. इस खबर को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने यह कह कर हवा दी कि जेडीयू मोदी सरकार में शामिल होने के लिए तैयार है.

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नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे का राज? (फाइल फोटो) नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे का राज? (फाइल फोटो)

सुजीत झा

  • पटना,
  • 22 जून 2021,
  • अपडेटेड 9:22 PM IST
  • दिल्ली दौरे पर बिहार सीएम नीतीश कुमार
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में जेडीयू को मिल सकती है जगह
  • नीतीश कुमार बोले, बीमारी का इलाज कराने आया हूं

केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे अर्से बाद मंगलवार दोपहर बाद दिल्ली पहुंचे. नीतीश कुमार ने सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि वो दिल्ली इलाज के लिये आये हैं. कोई विवाद नहीं है, कहां से ऐसी खबरें आती हैं? लोगों से मिलना ज़ुलना होता रहता है. वहीं लोकजनशक्ति पार्टी में हुई टूट को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उनका अंदरूनी मामला है. इससे जेडीयू का कोई लेना देना नहीं है.

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नीतीश कुमार के दिल्ली जाने पर ये अटकले तेज हो गई हैं कि क्या जेडीयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने जा रहा है. इस पर नीतीश कुमार ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं. इस खबर को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने यह कह कर हवा दी कि जेडीयू मोदी सरकार में शामिल होने के लिए तैयार है. लेकिन दूसरी तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद ललन सिंह ने यह कह कर हवा शांत करने की कोशिश की, कि मुख्यमंत्री निजी दौरे पर दिल्ली जा रहे हैं. मंत्रिमंडल विस्तार से इसका कोई वास्ता नहीं है.

एक ही पार्टी में दो तरह के बयान आने से जेडीयू के विरोधी भी कन्फ्यूज हो रहे हैं. आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने लिखा है कि ललन सिंह और रामचंद्र बाबू में सब कुछ ठीक ठाक है न? दोनों का अलग-अलग बयान पढ़ने के बाद मेरे मन में शंका पैदा हुई. ख़बर मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार से जुड़ी हुई है. 

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बिहार में कई दिनों से चर्चा है कि इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में सीएम नीतीश की पार्टी के लोगों को भी जगह मिलने वाली है. चर्चा यह भी है कि सीएम नीतीश का दिल्ली दौरा संभवतः इसी सिलसिले में है. लेकिन कन्फ्यूजन केवल विरोधियों में ही नहीं, जेडीयू के अंदर भी है. सभी नेता कयास लगाने में जुटे है कि आखिर ये माजरा क्या है? पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के बयान अलग अलग क्यों हैं? 

इसको समझने के लिए दो साल पहले जाना होगा. जब मोदी सरकार की दूसरी पारी में मंत्रिमंडल के गठन में एक मंत्री पद मिलने के कारण जेडीयू ने उसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था. क्योंकि किसी एक को प्रतीकात्मक मंत्री बनाने से पार्टी को फायदा से ज्यादा नुकसान दिख रहा था. अभी भी हालात वहीं है. 

और पढ़ें- बिहार की राजनीति गरमाईः LJP में टूट, JDU पर आरोप, BJP ने चिराग से पल्ला झाड़ा

अगर जेडीयू को इस बार दो मंत्री पद मिलते हैं तो उसमें आरसीपी सिंह और ललन सिंह का नाम ही जाएगा. आरसीपी सिंह, नीतीश कुमार के कास्ट के हैं तो ललन सिंह अपर कास्ट से आते हैं. ऐसे में जेडीयू का जो अतिपिछड़ा और महादलित का कोर वोट बैंक है उसको प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाएगा. क्योंकि इन दो वरिष्ठ नेताओं को इग्नोर करना भी मुश्किल है. इसके लिए जेडीयू को मंत्रिमंडल में कम से कम चार सीट तो चाहिए.  

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जेडीयू के सांसद ललन सिंह ने कहा कि मंत्रिमंडल में कौन शामिल होगा, कौन नहीं? ये प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है. मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे का इससे कोई संबंध नहीं है. वो अपनी आंखों का इलाज कराने के लिए दिल्ली जा रहे हैं. दिल्ली दौरे को लेकर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है. 

दूसरी तरफ जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के बयान पर गौर करें तो उनका कहना है कि उनकी पार्टी का बीजेपी से पुराना संबंध है और जेडीयू मंत्रिमंडल में शामिल होगा तो यह संबंध और मजबूत होगा. इसके साथ ही जो गलतफहमी बढ़ रही है वो भी दूर होगी. लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा.

हांलाकि बंगाल चुनाव के बाद बीजेपी अपने किसी भी सहयोगी को नाराज नहीं करना चाहती है. इसलिए उसकी पूरी कोशिश रहेगी कि जेडीयू मंत्रिमंडल में शामिल हो. लेकिन ये सबकुछ मंत्रिमंडल में उपलब्ध संख्या पर निर्भर करता है. नीतीश कुमार इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी पार्टी का मंत्रिमंडल में शामिल होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है पार्टी के जातीय समीकरण को साधना.

 

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