कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को राहत! राहुल के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग खारिज

विनीत जिंदल ने अटार्नी जनरल (एजी) केके वेणुगोपाल को एक पत्र लिखकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस नेता ने भारतीय न्यायपालिका के खिलाफ और उसकी गरिमा धूमिल करने वाली टिप्पणियां की हैं.

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है. (फाइल फोटो) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है. (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 24 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 2:10 AM IST
  • अटार्नी जनरल ने खारिज की वकील की मांग
  • कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को मिली बड़ी राहत

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है. अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने वकील विनीत जिंदल की उस मांग को ठुकराया जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की इजाजत दी जाए.

दरअसल, विनीत जिंदल ने अटार्नी जनरल (एजी) केके वेणुगोपाल को एक पत्र लिखकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस नेता ने भारतीय न्यायपालिका के खिलाफ और उसकी गरिमा धूमिल करने वाली टिप्पणियां की हैं.

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विनीत जिंदल ने पत्र में राहुल गांधी के हालिया साक्षात्कार का हवाला भी दिया है जिसमें कांग्रेस नेता ने कहा था, 'इस देश में एक कानूनी तंत्र है जिसमें हर किसी को अपनी आवाज उठाने की 100 फीसद आजादी है. यह बिल्कुल साफ है कि भाजपा इन सभी संस्थाओं या व्यवस्थाओं में अपने लोगों को बैठा रही है. यह बिल्कुल स्पष्ट है कि वे इस देश के संस्थागत ढांचे को छीन रहे हैं.'

पत्र में विनीत ने आरोप  लगाए थे राहुल देश की न्यायिक प्रणाली पर लांछन लगा रहे है. उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी ने भारतीय न्यायपालिका का अनादर किया है. इसके अलावा विनीत ने पत्र  में  याद दिलाया था कि प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी के मामले में शीर्ष अदालत ने भविष्य में सतर्क रहने की चेतावनी देकर राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना मामला बंद कर दिया था.

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के कानून की धारा 15 और नियमावली के नियम 3 के तहत अवमानना की कार्रवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय या सॉलिसिटर जनरल की सहमति आवश्यक होती है.

 

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