केजरीवाल ने PM मोदी को याद दिलाया 10 साल पुराना ट्वीट, पूछा- अध्यादेश क्यों लाए सर?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाए गए केंद्र के अध्यादेश को लेकर सियासी खींचतान जारी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अब 10 साल पुराना नरेंद्र मोदी का एक ट्वीट शेयर कर निशाना साधा है. केजरीवाल ने पूछा है कि आखिर अध्यादेश लाने की क्या जरूरत थी.

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अरविंद केजरीवाल (File Ohoto) अरविंद केजरीवाल (File Ohoto)

राम किंकर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2023,
  • अपडेटेड 2:06 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के अध्यादेश लाने के फैसले पर निशाना साधा है. केजरीवाल ने पीएम मोदी का 10 साल पुराना ट्वीट शेयर करते हुए पूछा है कि वह अध्यादेश क्यों लेकर आए.

केजरीवाल ने पीएम मोदी का जो ट्वीट शेयर किया है, उसमें लिखा है,'जब संसद में बैठक चल रही है. संसद को भरोसे में क्यों नहीं लिया गया और एक अच्छा बिल क्यों नहीं दिया जा सके? अध्यादेश क्यों लाया गया?

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ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकारी LG को

बता दें कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए शुक्रवार को अध्यादेश लेकर आई. इस अध्यादेश के जरिए केंद्र ने ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार उपराज्यपाल को दे दिए हैं.

आखिरी फैसला उपराज्यपाल का

इस अध्यादेश के जरिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण का गठन करेगी, जो दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग और विजिलेंस का काम करेगी. इसके तीन सदस्य होंगे, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री के अलावा मुख्य सचिव और गृह सचिव होंगे. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में यह समिति अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का फैसला बहुमत के आधार पर करेगी. लेकिन आखिरी फैसला उपराज्यपाल का होगा.

आदेश सुप्रीम कोर्ट की अवमानना?

दिल्ली सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार का अध्यादेश सीधेतौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में बेहद स्पष्ट तौर पर कहा था कि चुनी हुई सरकार सुप्रीम है. चुनी सरकार के पास सारी शक्तियां हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से डरकर केंद्र सरकार यह अध्यादेश लेकर आई है. केजरीवाल सरकार की पावर को कम करने के लिए यह अध्यादेश लाया गया है.

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केंद्र का फैसला बदले की भावना से परिपूर्ण

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र का नया अध्यादेश बदले की भावना से ओत-प्रोत है और पूरी तरह से संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन है. संवैधानिक सिद्धांत यह है कि नौकरशाह चुनी हुई सरकार के प्रति जवाबदेह होते हैं. लेकिन आपने नौकरशाहों को अन्य नौकरशाहों का प्रभारी बना दिया है. आप कैसे अध्यादेश के जरिए संविधान का उल्लंघन कर सकते हैं? इसे चुनौती दी जाएगी और इसे संसद के जरिए पारित नहीं होने दिया जाएगा.

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