2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अभी से सभी राजनीतिक पार्टियों ने जमीन पर काम करना शुरू कर दिया है. बीजेपी की तो सोमवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक हो चुकी है. कांग्रेस अधिवेशन भी अगले महीने होने जा रहा है. इस बीच समाजवादी पार्टी भी अब अपने पत्ते खोलने लगी है. कहने को सपा का ज्यादातर जनाधार उत्तर प्रदेश में है, लेकिन क्योंकि वो उस राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी है और लोकसभा की भी सबसे ज्यादा सीटें इसी राज्य से निकलती हैं, ऐसे में अखिलेश यादव को किसका साथ पसंद है, ये मायने रखता है. अब उसी पसंद की अटकलें लगने लगी हैं. अखिलेश को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का साथ पसंद आ रहा है.
सपा प्रमुख अखिलेश, केसीआर की विशाल रैली में शामिल होने जा रहे हैं. ये ऐलान भी उस समय हुआ है जब अखिलेश यादव ने कांग्रेस से पूरी दूरी बना ली है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो भारत जोड़ो यात्रा है जो अभी कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश से निकली है. कांग्रेस की तरफ से अखिलेश यादव को यात्रा में शामिल होने का न्योता दिया गया था. लेकिन अखिलेश यादव ने ये बोलकर टरका दिया कि वे इस यात्रा के साथ सिर्फ भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं. यानी कि उन्होंने कांग्रेस को यूपी में किसी भी तरह का सियासी साथ नहीं दिया. 2017 के चुनाव में जरूर 'ये साथ पसंद है' कहा गया था. लेकिन अब 2024 के रण के लिए सपा अपनी खुद की सियासी पिच तैयार कर रही है. इस पिच में केसीआर को खेलने का मौका दिया जा रहा है, सीएम नीतीश कुमार को भी मौका मिल सकता है, लेकिन अभी तक कांग्रेस की नो एंट्री है.
केसीआर की रैली और थर्ड फ्रंट को लेकर अखिलेश यादव ने भी दो टूक जवाब दिया है. वे कहते हैं कि लोकसभा के लिए एक फ्रंट बनने की आवश्यकता है जिसे लेकर ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और केसीआर जैसे नेता प्रयास कर रहे हैं. अब अखिलेश का ये बयान बताने के लिए काफी है कि वे थर्ड फ्रंड को लेकर काफी गंभीर हैं. वे मानकर चल रहे हैं कि अगर 2024 में बीजेपी के विजय रथ को रोकना है तो इन तीन नेताओं में से किसी को बड़ी भूमिका निभानी पड़ेगी. वैसे केसीआर की रैली में अखिलेश का जाना ज्यादा हैरान भी नहीं करता है. समाजवादी पार्टी का इतिहास बताता है कि एक समय तक दक्षिण की राजनीति में पार्टी की सक्रिय भूमिका रही है. सपा विचारधारा दक्षिण से निकली है, गोवा ही वो पहला राज्य था जहां पहली सपा सरकार (सोशलिस्ट पार्टी) बनी थी. गोवा को पुर्तगालियों से राम मनोहर लोहिया ने आजाद करवाया था, गोवा की आजादी की लड़ाई लोहिया ने लड़ी थी. समाजवादी पार्टी की शुरुआत भी दक्षिण से ही हुई.
सपा सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र एक समय पर सपा के आंदोलन का केंद्र रहा, जॉर्ज फर्नांडिस ने इस आंदोलन को लीड किया था. वहीं जिस तरह देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने और मुलायम सिंह रक्षा मंत्री बने तब कांग्रेस ने समर्थन दिया था और तभी थर्ड फ्रंट की सरकार बनी थी. सपा के कुछ नेता यह मानते हैं कि देश में अभी जो माहौल है, वो एंटी बीजेपी और एंटी कांग्रेस है, बीजेपी की सरकार को हटाने के लिए जो लोग ठीक समझेंगे, वो थर्ड फ्रंट के साथ आगे आएंगे, फिर चाहे अंदर से आए या बाहर से, लेकिन 2024 में जो भी सरकार बनेगी, वो मिली जुली वाली रहेगी, कई विपक्षी दल साथ आएंगे. प्रधानमंत्री कौन होगा, उस पर फैसला बाद में हो सकता है.
समर्थ श्रीवास्तव