अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को लेकर भारत में जुबानी जंग छिड़ गई है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी द्वारा तालिबान के समर्थन में दिए गए बयान पर हुई किरकिरी के बाद बोर्ड ने अपना पल्ला झाड़ लिया है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से ट्वीट करके कहा गया है कि बोर्ड ने तालिबान और अफगानिस्तान की राजनीतिक स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं की है. कुछ सदस्यों की निजी राय को बोर्ड का स्टैंड मानकर गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. बोर्ड से तालिबान की खबरों को नहीं जोड़ना चाहिए.
क्या बोले थे नोमानी?
बता दें कि सज्जाद नोमानी ने बयान जारी कर अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को जायज बताया था. उन्होंने कहा था कि तालिबान ने पूरी दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं को धूल चटाई है.
नोमानी ने कहा कि पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे एक निहत्थी कौम ने दुनिया की सबसे मजबूत फौजों का मुकाबला किया और काबुल के महल में वे दाखिल हो गए. उन्होंने तालिबान की जीत के लिए अल्लाह को शुक्रिया किया.
सपा सांसद पर केस दर्ज
इससे पहले समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क (Dr. Shafiqur Rehman Barq) ने तालिबान का समर्थन करते हुए बयान दिया था. हालांकि बाद में उन्होंने इस पर यू-टर्न ले लिया. उन्होंने कहा कि कहा था कि तालिबानियों ने अपने देश को आजाद कराया है. ऐसा बयान देने पर अब उनके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज हो गया है.
दरअसल, बर्क ने अफगानिस्तान में तालिबान पर कब्जे की तुलना भारत में ब्रिटिश राज से कर दी थी. उन्होंने कहा था, हिंदुस्तान में जब अंग्रेजों का शासन था और उन्हें हटाने के लिए हमने संघर्ष किया, ठीक उसी तरह तालिबान ने भी अपने देश को आजाद किया. तालिबान ने रूस, अमेरिका जैसे ताकतवर मुल्कों को अपने देश में ठहरने नहीं दिया.
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