असम: 'विदेशी' टैग के साथ ही 104 साल के बुजुर्ग की मौत, डिटेंशन सेंटर में भी बिताए दिन

चंद्रधर दास को 2018 में सिलचर में फॉरनर्स ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित कर दिया था, इसके बाद उन्हें सिलचर में डिटेंशन कैंप भेज दिया गया था. चंद्रधर दास को आखिरी समय तक उम्मीद थी कि नागरकिता संशोधन कानून 2019 उनकी तकलीफों को दूर कर देगा.

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104 साल के चंद्रधर दास की मौत हो गई (फाइल फोटो) 104 साल के चंद्रधर दास की मौत हो गई (फाइल फोटो)

हेमंत कुमार नाथ

  • गुवाहाटी,
  • 15 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:44 PM IST
  • नहीं मिल पाई भारत की नागरिकता
  • 1950 में पूर्वी पाकिस्तान से आए थे भारत
  • 2018 में ट्रिब्यूनल ने 'विदेशी' घोषित किया

असम के काचर जिले में अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने की कोशिश में 104 साल के एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत हो गई. 104 साल के चंद्रधर दास काचर जिले के धोलई पुलिस स्टेशन में अमराघाट के रहने वाले थे. 2 साल पहले फॉरनर्स ट्रिब्यूनल ने उन्हें 'विदेशी' घोषित कर दिया था. इसके बाद वृद्ध चंद्रधर दास सरकारी मुलाजिमों के सामने अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने में जुटे हुए थे. 

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चंद्रधर दास को 2018 में सिलचर में फॉरनर्स ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित कर दिया था, इसके बाद उन्हें सिलचर में डिटेंशन कैंप भेज दिया गया था. चंद्रधर दास को आखिरी समय तक उम्मीद थी कि नागरकिता संशोधन कानून 2019 उनकी तकलीफों को दूर कर देगा. चंद्रधर दास बतौर भारतीय नागरिक आखिरी सांस लेना चाहते थे, लेकिन उनकी ये इच्छा अधूरी रह गई. 

चंद्रधर दास के वकील सौमेन चौधरी ने आजतक से कहा कि चंद्रधर दास को अदालत के सामने पेश होना था, लेकिन वृद्ध होने की वजह से वह डिटेंशन सेंटर में मुश्किल से चल पाते थे. जब उनकी हालत बिगड़ने लगी तो उन्होंने स्वास्थ्य कारणों के आधार पर अदालत से बेल मांगा. इसके बाद उन्हें बेल मिल गई. इसके बाद वे अपने परिवार के साथ रह रहे थे. 

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सौमेन चौधरी ने कहा कि चंद्रधर दास दावा करते थे कि उन्हें 1966 में अगरतला में रिफ्यूजी सर्टिफिकेट जारी किया गया था, जबकि उनका जन्म पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के कोमिला में हुआ था. वकील चौधरी ने कहा कि चंद्रधर दास के इस प्रमाण की जांच अभी होनी बाकी थी, इसलिए चंद्रधर दास की नागरिकता का मामला लटका था. 

चंद्रधर दास के परिवार के मुताबिक उन्होंने 1950 में पूर्वी पाकिस्तान छोड़ दिया और त्रिपुरा में आ गए यहां पर वे मजदूरी करने लगे. एक बार वे असम के काचर जिले में आए और फिर यहीं पर स्थायी रूप से रहने लगे. बता दें कि पिछले साल 31 अगस्त को प्रकाशित NRC लिस्ट से चंद्रधर दास का पूरा परिवार बाहर रह गया था. परिवार को उम्मीद थी कि CAA पारित होने के बाद चंद्रधर दास को भारत की नागरिकता मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

 

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