रोते रहे मंत्री, पकड़कर खींचती पुलिस... कौन हैं बालाजी जिनको लेकर मोदी सरकार पर हमलावर है विपक्ष

तमिलनाडु के बिजली और आबकारी मंत्री वी सेंथिल बालाजी के ठिकानों पर 24 घंटे छापेमारी के बाद ED ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया. इस दौरान मंत्री की तबीयत बिगड़ गई और वो पुलिस हिरासत में अस्पताल ले जाए जाने तक रोते दिखाई दिए.

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मुनीष पांडे / शिल्पा नायर / प्रमोद माधव

  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2023,
  • अपडेटेड 7:04 PM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में तमिलनाडु के बिजली और आबकारी मंत्री वी सेंथिल बालाजी के कई ठिकानों पर तलाशी ली. इसके बाद बुधवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. मंत्री से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत नौकरी घोटाले को लेकर पूछताछ की गई. इस पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया.

बता दें कि मंगलवार से ED उनके आवास पर छापेमारी कर रही है. यह छापेमारी करीब 24 घंटे तक चली और उनसे पूछताछ भी की गई. इसके बाद बुधवार लगभग 1.30 बजे मंत्री को सूचित किया गया कि उन्हें जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किया जाएगा. अपनी गिरफ्तारी की खबर सुनने के बाद उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की और उन्हें चेन्नई के सरकारी अस्पताल भेज दिया गया.

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रोते दिखे DMK नेता

जांच एंजेसी जब उन्हें गिरफ्तार कर अस्पताल के लिए ले जा रही थी तब उन्हें एंबुलेंस में खूब रोते हुए देखा गया. इस दौरान उनके समर्थकों ने ED के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. पुलिस DMK नेता को पकड़कर स्ट्रेचर तक लिटाती देखी गई. इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें ICU में भर्ती किया गया क्योंकि डॉक्टरों ने उनके ECG में बदलाव देखा.

14 दिन की न्यायिक रिमांड

उनकी गिरफ्तारी के बाद, सेंथिल बालाजी की पत्नी ने मद्रास हाई कोर्ट का रुख किया और जस्टिस जे निशा बानू और डी भारत चक्रवर्ती की पीठ इस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई. अब अदालत ने सेंथिल बालाजी को 14 दिनों के लिए न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है. सेंथिल बालाजी 28 जून तक न्यायिक रिमांड पर रहेंगे.

डॉक्टर्स ने दी बाईपास सर्जरी की सलाह

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उनकी गिरफ्तारी के बाद, तमिलनाडु के मंत्री को बाईपास सर्जरी कराने की सलाह दी गई क्योंकि डॉक्टरों ने उनके दिल में तीन ब्लॉक देखे. तमिलनाडु गवर्नमेंट मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, चेन्नई ने अपने मेडिकल हेल्थ बुलेटिन में कहा, 'राज्य मंत्री सेंथिल बालाजी की आज कोरोनरी एंजियोग्राम हुई, जल्द से जल्द बाईपास सर्जरी की सलाह दी जाती है.'

कांग्रेस ने भी दर्ज कराया विरोध

गैर भाजपा दलों ने सेंथिल पर हुई इस कार्रवाई का विरोध किया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पत्र लिखकर कहा, 'तमिलनाडु के बिजली मंत्री थिरु वी. सेंथिल बालाजी के कार्यालय में तलाशी के लिए ईडी के घोर दुरुपयोग की कांग्रेस पार्टी निंदा करती है. ये डराने-धमकाने और परेशान करने के लिए मोदी सरकार की बेशर्मी से भरी कोशिशें हैं. राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ जांच एजेंसियों का इस तरह से खुल्लम खुल्ला दुरुपयोग मोदी सरकार की पहचान रही है. इस तरह की हरकतें विपक्ष को चुप कराने में कामयाब नहीं होंगी, बल्कि ये मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ अपने लाकतांत्रिक संघर्ष को जारी रखने के विपक्ष के दृण संकल्प को और मजबूत करती हैं.'

टीएमसी ने भी जताया विरोध

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने भी ईडी की कार्रवाई का विरोध किया है. टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा कि ईडी का यह पूरी तरह से गलत है. ईडी का किस तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है.

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सीएम स्टालिन का हमला

इस गिरफ्तारी पर तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. स्टालिन ने कहा कि भाजपा जिन लोगों का राजनीतिक रूप से सामना नहीं कर सकती, उन्हें पिछले दरवाजे से डराने-धमकाने का प्रयास कर रही है. उसकी यह चाल सफल नहीं होगी. वह समय नजदीक आ रहा है, जब वे स्वयं ही इसे महसूस करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद एक्शन

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने सेंथिल के खिलाफ कथित कैश-फॉर-जॉब घोटाले की पुलिस और ईडी जांच की अनुमति दी थी. यह मामला 2014 का है, जब सेंथिल अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री थे. सूत्रों के मुताबिक उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत छापेमारी की जा रही है.

यह भी पढ़ें- ED की छापेमारी के बाद तमिलनाडु के बिजली मंत्री गिरफ्तार, सीने में उठा दर्द, अस्पताल में भर्ती

ऐसे में यह जान लेते हैं कि आखिर तमिलनाडु की सियासत में भूचाल लाने वाले बालाजी सेंथिल के खिलाफ केस क्या है?

गिरफ्तारी के पीछे की कहानी: विज्ञापनों से लेकर आरोपों तक

मामला नवंबर 2014 का है, जब राज्य द्वारा संचालित मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ने पांच अलग-अलग विज्ञापनों के माध्यम से भर्ती अभियान की घोषणा की थी. उन्होंने 746 ड्राइवरों, 610 कंडक्टरों, 261 जूनियर ट्रेडमैन, 13 जूनियर इंजीनियरों और 40 सहायक इंजीनियरों के पदों को भरने का टारगेट रखा था. इन भर्ती विज्ञापनों के बाद भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए.

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दरअसल देवसगयम नाम के एक व्यक्ति ने अक्टूबर 2015 में पहली शिकायत दर्ज कराई, जिसमें दावा किया गया कि उसने परिवहन निगम में अपने बेटे को नौकरी दिलाने के लिए एक कंडक्टर पलानी को 2.60 लाख रुपये दिए थे. उसके बेटे को कभी नौकरी तो नहीं मिली और उसके दिए हुए पैसे भी कभी वापस नहीं किए गए. गौरतलब है कि शिकायत में तत्कालीन परिवहन मंत्री बालाजी को शामिल नहीं किया गया था.

इसके बाद मार्च 2016 में, एक दूसरे व्यक्ति गोपी ने भी इसी तरह की शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने दो व्यक्तियों को 2.40 लाख रुपये का भुगतान किया था. यह दो व्यक्ति कथित तौर पर मंत्री बालाजी से संबंधित थे. आवेदक ने यह रकम एक कंडक्टर की नौकरी के लिए दी थी, जो उन्हें कभी नहीं मिली.

हाई कोर्ट तक पहुंचा मामला

इसके बाद गोपी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने हाई कोर्ट में कहा कि पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज नहीं की. गोपी की याचिका का हाई कोर्ट ने 20 जून, 2016 को निस्तारण किया. अदालत ने अपने आदेश में यह कहा कि अतिरिक्त लोक अभियोजक के अनुसार, 81 व्यक्तियों ने पुलिस को इसी तरह की शिकायतें दी थीं और देवसागयम द्वारा दी गई शिकायत को खारिज कर दिया गया था. देवसागयम ने 2015 में एफआईआर दर्ज कराई थी. अतिरिक्त लोक अभियोजक ने गोपी द्वारा दायर याचिका में हाई कोर्ट के सामने एक स्टैंड लिया कि गोपी सहित सभी 81 व्यक्तियों को देवसागम के कहने पर दर्ज शिकायत में गवाह के रूप में लिस्ट किया जाएगा.

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2017 में सामने आया पैसे इकट्ठे करने वाला शख्स

इसके अलावा एक अन्य व्यक्ति वी. गणेश कुमार ने 9 सितंबर, 2017 को चेन्नई पुलिस में मंत्री सेंथिल बालाजी सहित चार लोगों के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई. उसकी शिकायत में कहा गया था कि वह परिवहन विभाग का कर्मचारी था और उसके एक सहयोगी अन्नराज और उसके दोस्त आर सहयाराजन को प्रभु (मंत्री का एक रिश्तेदार) मंत्री सेंथिल बालाजी के घर ले गया था. मंत्री ने उन्हें ड्राइवर और कंडक्टर के रूप में नियुक्ति पाने के इच्छुक व्यक्तियों से धन एकत्र करने का निर्देश दिया. शिकायत में आगे कहा गया कि मंत्री के आदेश के अनुसार, 28 दिसंबर, 2014 से 10 जनवरी, 2015 की अवधि के दौरान कुल 95 लाख रुपये की राशि इकट्ठी की गई थी.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हालांकि यह राशि प्रभु को दी गई थी और जिन व्यक्तियों ने पैसे दिए, उन्हें नियुक्त नहीं किया गया. इसलिए पैसा देने वालों ने वी. गणेश कुमार पर शिकायत दर्ज कराने का दबाव बनाना शुरू कर दिया. इस शिकायत में भी केवल आईपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 506(1) (आपराधिक धमकी) के तहत अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस मामले में पुलिस द्वारा 7 जून, 2018 को मंत्री सेंथिल बालाजी और तीन अन्य के खिलाफ केवल धारा 420 और 506 (1) सहपठित धारा 34 आईपीसी के तहत दंडनीय अपराधों के लिए एक अंतिम रिपोर्ट दायर की थी. विशिष्ट आरोपों के बावजूद, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराधों को शामिल नहीं किया गया.

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फिर HC पहुंचा मामला

इसी तरह के मामलों को लेकर 12 अप्रैल, 2019 को एक अंतिम रिपोर्ट दायर की गई थी. साल 2019 में, मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में ड्राइवर के रूप में काम करने वाले आरबी अरुण कुमार नाम के एक व्यक्ति और जिसे देवसागयम की शिकायत में गवाह के रूप में उद्धृत किया गया था, ने मामले में आगे की जांच की मांग वाली एक याचिका के साथ मद्रास हाई कोर्ट का रुख किया. याचिका में कहा गया कि 20 जून, 2016 के अपने आदेश में उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार पुलिस ने अपना काम नहीं किया है.

आरबी अरुण कुमार ने यह भी बताया कि मंत्री सेंथिल बालाजी को 2 करोड़ रुपये से अधिक की बड़ी राशि का भुगतान करने के विशिष्ट आरोप को जांच एजेंसी द्वारा पूरी तरह से दबा दिया गया था और एक डमी चार्जशीट दायर की गई थी. हाई कोर्ट ने सहायक पुलिस आयुक्त, सीसीबी (जॉब रैकेटिंग) को आगे की जांच करने और छह महीने के भीतर इसे पूरा करने का निर्देश दिया. 

इसके बाद साल 2021 में पुलिस ने मंत्री सेंथिल बालाजी और शनमुगम (मंत्री के पीए) सहित 47 व्यक्तियों के खिलाफ अंतिम रिपोर्ट दायर की जिसमें पीसी अधिनियम के तहत अपराध शामिल थे. जिस तरह से परिवहन निगम में विभिन्न पदों पर उम्मीदवारों की पूरी भर्ती हुई थी, उसका पता चलने पर, जो उम्मीदवार चयन के लिए मौजूद हुए, लेकिन चयनित नहीं हुए, उन्होंने पूरे चयन को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर करना शुरू कर दिया. साल 2021 में एक रिट याचिका ए नंबी वेंकटेश द्वारा दायर की गई थी, जिसमें जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति को शून्य करने की मांग की गई थी. इसी तरह, एक पी. धर्मराज और एम. गोविंदरासु ने सहायक अभियंता के पद के संबंध में 2021 में एक रिट याचिका दायर की थी.

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राज्य में बदला सियासी माहौल

इसके बाद मई 2021 में राज्य में राजनीतिक माहौल बदल गया. हालांकि प्रमुख अभिनेता बदल गए, पीड़ितों के लिए स्क्रिप्ट वही रही और मंत्री का राजनीतिक भाग्य जारी रहा, क्योंकि उन्हें नई व्यवस्था में भी कैबिनेट में जगह मिली थी. मंत्री के पीए शनमुगम, जिन्हें 2021 की अंतिम रिपोर्ट में आरोपी नंबर तीन के रूप में रखा गया था, ने 2021 में हाई कोर्ट के सामने एक याचिका दायर कर पुलिस की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की. उन्होंने याचिका में दावा किया कि पीड़ितों (अरुलमणि और अन्य और अभियुक्तों) के बीच समझौता हो गया था और इसलिए, शिकायत को रद्द किया जा सकता है. कई अन्य अभियुक्तों ने पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को रद्द करने के लिए इसी तरह की याचिकाएं दायर कीं. 

इसके बाद 30 जुलाई 2021 को हाईकोर्ट ने संयुक्त समझौता ज्ञापन के आधार पर पुलिस की अंतिम रिपोर्ट में से एक को निरस्त कर दिया. यह आदेश पूरी तरह से आरोपों की प्रकृति, जिन अपराधों के लिए अभियुक्त को आरोपित किया जाना चाहिए था, साथ ही उच्च न्यायालय द्वारा पारित पिछले आदेशों की पूरी तरह से अनदेखी करते हुए पारित किया गया था. हाई कोर्ट द्वारा रद्द करने का आदेश पारित करने के ठीक एक दिन पहले, ईडी ने मामला दर्ज किया और मंत्री सेंथिल बालाजी को समन जारी किया.

बाद में, ईडी ने ट्रायल कोर्ट के सामने एफआईआर की प्रमाणित प्रतियां, गवाहों के बयान और अंतिम रिपोर्ट की मांग करते हुए विविध याचिकाएं दायर कीं. 9 नवंबर, 2021 को ट्रायल कोर्ट ने एफआईआर, शिकायतों और गवाहों और अभियुक्तों के बयानों की प्रमाणित प्रतियों की आपूर्ति करने का निर्देश दिया. हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने अचिह्नित दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां जारी करने से इनकार कर दिया.

SC पहुंचा मामला और फिर ED का एक्शन

इन तमाम याचिकाओं के बीच यह मामला देश की शीर्ष अदालत में पहुंचा और 16 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामले की जांच करने को कहा. शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामले की जांच करने की भी अनुमति दी. इसी आधार पर ED ने एक्शन लेते हुए छापेमारी की और बुधवार को मंत्री को गिरफ्तार कर लिया. बालाजी की गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार के अलावा कई बड़े राजनीतिक दल इस एक्शन को लेकर भाजपा पर निशाना साध रहे हैं.

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