विवादित कविता पर बोले वीर दास- 'अपना काम करने के लिए यहां हूं, आगे भी इसे जारी रखूंगा'

अमेरिका में दिए गए अपने बयान के बाद से एक्टर कॉमेडियन वीर दास विवादों में घिर गए हैं. बयान के चलते उनके खिलाफ देश के कई हिस्सों में शिकायत दर्ज हो चुकी हैं. अब वीर ने पूरे विवाद पर जवाब दिया है. उन्होंने कहा, बड़ी हेडलाइन - "मैं अपना काम करने के लिए यहां हूं और आगे भी इसे जारी रखूंगा'.

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Vir Das Vir Das

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST
  • वीर दास ने कविता विवादों में आ गई थी
  • वीर के खिलाफ कई जगहों पर एफआईआर

हाल ही में अमेरिका में दिए गए अपने भारत विरोधी बयान के बाद से एक्टर कॉमेडियन वीर दास विवादों में घिर गए हैं. बयान के चलते उनके खिलाफ देश के कई हिस्सों में शिकायत दर्ज हो चुकी हैं. अब वीर ने पूरे विवाद पर जवाब दिया है. उन्होंने कहा, बड़ी हेडलाइन - "मैं अपना काम करने के लिए यहां हूं और आगे भी इसे जारी रखूंगा. मैं नहीं रुकूंगा. मेरा काम लोगों को हंसाना है और अगर आपको यह अजीब नहीं लगता तो मत हंसो, मैंने आज तक किसी भी सेंसरशिप का सामना नहीं किया है." उन्होंने कहा "हमें लोगों को हंसाने और प्यार फैलाने के लिए भारत में और अधिक कॉमेडी क्लबों की आवश्यकता है. "

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गौरतलब है कि, बीते दिनों जॉन एफ कैनेडी सेंटर में आयोजित हुए एक शो में वीर दास ने भारत के दो हिस्सों के बारे में बताया था. उन्होंने वहां 'टू इंडियाज' नाम की एक कविता पढ़ी थी. इस वीडियो का एक हिस्सा वीर दास ने अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड कर दिया. इस पर सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स का कहना है कि उन्होंने विदेश में जाकर भारत का अपमान किया है.

वीर ने अपनी कविता में कहा था कि- मैं उस भारत से आता हूं, जहां AQI 9000 है लेकिन हम फ़िर भी अपनी छतों पर लेटकर रात में तारे देखते हैं. मैं उस भारत से आता हूं, जहां हम दिन में औरतों की पूजा करते हैं और रात में गैंगरेप करते हैं. मैं उस भारत से आता हूं जहां आप हमारी हंसी की खिलखिलाहट हमारे घर की दीवारों के पार से भी सुन सकते हैं और मैं उस भारत से भी आता हूं जो कॉमेडी क्लब की दीवारें तोड़ देता है, जब उसके अंदर से हंसी की आवाज़ आती है. मैं उस भारत से आता हूं, जहां हम वेजेटेरियन होने में गर्व महसूस करते हैं लेकिन उन्हीं किसानों को कुचल देते हैं, जो ये सब्ज़ियां उगाते हैं. मैं उस भारत से आता हूं जो कभी चुप नहीं होता और मैं उस भारत से आता हूं जो कभी नहीं बोलता.

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इनपुट- चैती नरुला


 

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