वन नेशन,वन इलेक्शन लागू होने पर संविधान में क्या-क्या बदलना पड़ेगा?

वन नेशन, वन इलेक्शन पर कमेटी के सुझाव कितने प्रैक्टिकल हैं, वैभव गहलोत पर ED के छापे के बाद कैसे बदलेगी चुनावी राजनीति, हमास के खिलाफ इज़रायल भारत से क्या चाहता है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को लेकर क्या बोले देश के आईटी मिनिस्टर, सुनिए ‘दिन भर’ में.

Advertisement
din bhar din bhar

नितिन ठाकुर / रोहित त्रिपाठी

  • ,
  • 26 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 7:56 PM IST

देश में वन नेशन वन इलेक्शन पर चर्चा तेज है, चर्चा ही नहीं, पहल के स्तर पर भी. कल इसी मुद्दे पर सुझाव आया है उस कमिटी का जो केंद्र सरकार ने बनाई थी. सुझाव में कुछ ऐसे कन्सेप्ट हैं जो देश की राजनीति के लिए बिल्कुल नए हैं. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में ये कमिटी बनाई गई थी. जिसने ये सुझाव दिया है कि देश या प्रदेश की सरकार अगर कार्यकाल पूरा किये बिना गिरती है और इसमें 2 साल से कम बचा हो तो सर्वदलीय सरकार बनाई जाए.  केंद्र में इसे ‘राष्ट्रीय एकता की सरकार’ कहा जाए.  दूसरा सुझाव ये है कि सरकार गिरने पर मध्यावधि चुनाव तभी हो जब कार्यकाल 2 साल से अधिक बचा हो और मध्यावधि चुनाव के बाद जो भी सरकार बने वो केवल बचे हुए कार्यकाल के लिए हो ना कि पाँच साल के लिए. इस कमिटी ने इन सुझावों के साथ ये भी कहा है कि ऐसा करना संविधान में मौजूद प्रावधानों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता बल्कि उसे और मजबूत करेगा. हालांकि इस सुझाव पर विपक्षी नेताओं की आपत्तियाँ भी आईं. कांग्रेस ने इन सुझावों  को ग़ैर जरूरी बताया है. सवाल ये है कि ये सुझाव अगर अमल में लाए जाते हैं तो प्रैक्टिकली इनका अनुपालन कितना संभव है, सुनिए 'दिन भर' में.

Advertisement

केंद्र की दो एजेंसियां लगातार चर्चा में रहती हैं और इन दिनों रोज खबर में भी हैं. ईडी और सीबीआई. आज ईडी का एक्शन राजस्थान में हुआ और इसका असर ऐसा था था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला डाली. ईडी ने आज ही अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को पेश होने का समन जारी किया. साथ ही, राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के जयपुर आवास पर छापेमारी की.बीजेपी नेताओं ने इस कार्रवाई के बाद सीएम अशोक गहलोत पर जमकर हमला बोला. उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ED के एक्शन को केंद्र सरकार की गुंडागर्दी करार दिया. ये पूरा मामला क्या है और अब तक की हलचल क्या रही, सुनिए 'दिन भर' में. 

 
इज़राइल और हमास के बीच शुरु हुई जंग को आज 20 दिन बीत चुके हैं. लाशों से पटी हुई ज़मीन, दहशत में छुपते - छिपाते लोग, आसमान से होती एयर स्ट्राइक्स, ये नज़ारा ज़रा भी नहीं बदला. अगर कुछ बदल रहा है, या यूं कहें रोज़ कुछ नया हो रहा है - तो वो है- अंतरराष्ट्रीय नेताओं की बयानबाज़ी. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक जॉइन्ट प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि G-20 समिट के दौरान इंडियन मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर का ऐलान हुआ था. मुझे विश्वास है कि ये ऐलान हमास के इजराइल पर आतंकी हमले का एक कारण है. वहीं आज अमेरिका ने इज़राइल को गाज़ा में ग्राउन्ड इनवेजन करने से भी रोका है. अमेरिकी अधिकारियों ने इज़रायल को तब तक रुकने के लिए राज़ी किया है जब तक कि इलाक़े में अमेरिकी एयर डिफेन्स सिस्टम स्थापित नहीं हो जाता. इस सब से इतर भारत में इज़राइल के राजदूत नाओर गिलोन ने बताया कि उनकी भारत सरकार से बातचीत हुई है. इज़राइल चाहता है कि भारत हमास को आतंकवादी संगठन घोषित कर दे. सवाल ये है कि अगर भारत ऐसा करता है तो इसके क्या मायने होंगे, इससे इज़रायल को तो फायदा मिलेगा लेकिन भारत के लिए फैसला कैसा होगा, सुनिए 'दिन भर' में. 
 
 
सरकार ऐसे कंटेंट जो सोशल मीडिया यूजर्स को नुकसान पहुंचाते हैं , उनको वहां से हटाने को लेकर सख्त है. अब इस मामले में एक कदम और आगे बढ़ने की तैयारी है.ऐसे प्लेटफॉर्म्स जो आपत्तिजनक कंटेंट नहीं हटाते सरकार उन को दी गई सुविधाएं और सहूलियत हटाने पर विचार कर रही हैं. नुकसान पहुँचाने वाले कॉन्टेन्ट में यौन शोषण, फर्जी ख़बरें या धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले कॉन्टेंट शामिल है. आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एक इंटरव्यू में कहा कि सरकार इंफ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स के तहत ऐसे प्रावधान लागू करने पर विचार कर रही है जिससे फ़ेसबुक, एक्स ,इंस्टाग्राम, यूट्यूब और गूगल को भारतीय क़ानून के तहत ज़िम्मेदार ठहराया जा सके.राजीव चंद्रशेखर ने ये भी कहा कि बच्चों के यौन हिंसा से जुड़े कॉन्टेंट को हटाने के सरकारी आदेश से बचने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म थर्ड पार्टी कंटेन्ट से जुड़ी क़ानून की धारा 79 का ग़लत इस्तेमाल कर रहे हैं. इस पूरी खबर को सिलसिलेवार तरीके से, सुनिए ' दिन भर' में.
 

 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement