केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिंस (NLEM) की नई सूची जारी की है, जिसमें 27 चिकित्सकीय श्रेणियों में 384 दवाइयों को मंजूरी दी गई हैं. सरकार ने इस बार 34 ऐसी दवाइयों को भी शामिल किया है, जो पहले एनएलईएम की सूची में नहीं थी. इनमें एंटी ट्यूबरकुलोसिस दवा बेडक्विलाइ, रोटावायरस वैक्सीन जैसी दवाइयां भी शामिल हैं.
हालांकि, नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिंस (NLEM) की इस सूची से देश में धड़ल्ले से बिक रही 26 दवाओं को हटा दिया गया है. इनमें ऐसी दवाएं भी शामिल हैं, जिनसे कैंसर होने का खतरा है.
सरकार ने जिन 26 दवाओं को नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिंस की नई सूची से हटाया है, उनमें अल्टेप्लेस दवा, एटेनोलोल, ब्लीचिंग पाउडर, कैप्रियोमाइसिन, सेट्रीमाइड, क्लोरफेनिरामाइन, डिलोक्सानाइड फ्यूरोएट, डिमरकैप्रोल, एरिथ्रोमाइसिन, एथिनाइलेस्ट्राडियोल, एथिनाइलेस्ट्राडियोल (ए) नोरेथिस्टेरोन (बी), गैन्सिक्लोविर, कनामाइसिन, लैमिवुडीन (ए) + नेविरापाइन (बी) + स्टावुडीन (सी), लेफ्लुनोमाइड, मिथाइलडोपा, निकोटिनामाइड, पेगीलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2 ए, पेगीलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2 बी, पेंटामिडीन, प्रिलोकेन (ए) + लिग्नोकेन (बी), प्रोकारबाजिन, रेनिटिडीन, रिफाबुटिन, स्टावुडीन (ए) + लैमिवुडिन (बी), सुक्रालफेट और व्हाइट पेट्रोलैटम शामिल हैं.
Antacid Ranitidine को लिस्ट से हटाया गया
Antacid Ranitidine को भी लिस्ट से हटाया गया है. Ranitidine को Rantac, Zinetac जैसे ब्रांड नेम के साथ बेचा जाता रहा है. रैंटिडाइन ऐसी दवा हैं, जो आपके पेट से एसिड की अधिक मात्रा को कम कर देती है. इस दवा से कैंसर होने की रिपोर्टों को लेकर यह सरकार के निशाने पर थी. इस दवा को एसिलोक, जिनेटैक और रैनटेक जैसे लोकप्रिय ब्रांड्स के तहत बेचा जाता है.
भारत में आमतौर पर रैंटिडाइन का इस्तेमाल डॉक्टर एसिड संबंधी समस्याओं, अपाचन, पेट दर्द और हार्टबर्न जैसी समस्याओं से निजाद दिलाने के लिए प्रिस्क्राइब करते हैं. बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार ने साल 2015 में एनएलईएम की सूची जारी की थी.
इस सूची को 350 एक्सपर्ट्स से विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है. इस सूची को अंतिम रूप देने से पहले कुल 140 बैठकें हुई थीं.
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