त्रिपुरा की 60 विधानसभा सीटों के लिए 16 फरवरी गुरुवार को मतदान हुआ. राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक शाम चार बजे तक 81.1 फीसदी मतदान दर्ज किया गया. मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) गित्ते किरणकुमार दिनकारो ने बताया था कि 3,337 मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक वोटिंग हुई. इन मतदान केंद्रों में से 1,100 की पहचान संवेदनशील और 28 की अति संवेदनशील के रूप में की गई थी.
बता दें कि इन चुनावों के बीजेपी ने ईपीएफटी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा, तो वहीं सीपीआई (एम) और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा. इसके अलावा पूर्व शाही परिवार के वंशज प्रद्योत बिक्रम की पार्टी टिपरा मोथा भी मैदान में है. साथ ही इन चुनावों में ममता बनर्जी की पार्टी TMC भी कुछ सीटों पर दांव लगा रही है. बता दें कि राज्य की 60 विधानसभा सीटों पर कुल 259 उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं. इन वोटों की गिनती 2 मार्च को होगी.
इन पार्टियों से इतने उम्मीदवार मैदान में
इन चुनावों में बीजेपी आईपीएफटी के साथ मिलकर चुनाव में उतरी है. बीजेपी की ओर 55 सीटों पर उम्मीदवार मैदान में हैं तो वहीं उसकी सहयोगी पार्टी आईपीएफटी 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इनके अलावा कांग्रेस-लेफ्ट में सीटों पर समझौते के तहत वाम मोर्चा 43 सीटों और तो कांग्रेस ने 13 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इसके अलावा कांग्रेस और लेफ्ट ने एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन दिया है. इनके अलावा प्रद्योत बिक्रम की नई पार्टी टिपरा मोथा ने राज्य की 60 सीटों में से 42 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. राज्य में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी 28 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है. इसके अलावा, 58 उम्मीदवार निर्दलीय हैं और कुछ अन्य दलों से भी कुछ उम्मीदवार मैदान में हैं.
इन उम्मीदवारों पर सबकी नजर
मुख्यमंत्री माणिक साहा टाउन बारडोवली निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार हैं, जबकि केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक भाजपा के टिकट पर धनपुर से चुनाव लड़ रही हैं. जबकि CPIM के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी, जो वाम-कांग्रेस गठबंधन का चेहरा हैं, सबरूम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इनके अलावा पूर्वोत्तर राज्य के पूर्व शाही परिवार के वंशज और टिपरा मोथा के फाउंडर प्रद्योत देबबर्मा मैदान में नहीं हैं.
इन मुद्दों पर लड़ा जा रहा चुनाव
इन चुनावों में प्रचार के दौरान, भाजपा ने पिछले पांच वर्षों में पूर्वोत्तर राज्य में हुए विकास पर प्रकाश डाला, जबकि वाम मोर्चा और कांग्रेस ने भाजपा-आईपीएफटी सरकार के 'कुशासन' पर जोर दिया. इनके अलावा टिपरा मोथा का चुनावी मुद्दा ग्रेटर टिपरलैंड राज्य की मांग है.
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